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सोलर पैनल वाले हजारों उपभोक्ताओं के बिजली बिल में बड़ा गड़बड़


यूपी में सोलर पैनल वालों की हजारों यूनिट बिजली लापता, 50 हजार उपभोक्‍ताओं के बिल में खेल


नियम है कि एक अप्रैल से 31 मार्च तक सोलर यूनिट उपभोक्ताओं के खाते में जुड़ती रहती हैं। 31 मार्च को खाते की यूनिट का हिसाब पावर कॉरपोरेशन कर देता है। यह रकम अगले साल अप्रैल में आने वाले बिल में…


बलिया : यूपी में अपने घरों में सोलर पैनल लगाने वाले हजारों उपभोक्ताओं के बिजली बिल में बड़ा खेल उजागर हुआ है। मार्च में उनके खाते में दिखाई जा रही सोलर यूनिटें जो उनके खुद के सोलर पैनल से पैदा हुई थीं, उसमें घपला कर दिया गया। ये यूनिटें नियमत: समायोजित करके उपभोक्ताओं का बिल कम किया जाना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं किया गया। नतीजतन, उपभोक्ताओं की लाखों यूनिट बिजली लापता हो गई और उन्हें ज्यादा बिल देना पड़ा। पूरे उत्तर प्रदेश में तकरीबन 50 हजार उपभोक्ताओं के साथ फर्जीवाड़ा किया गया है।

Block Your Lost / Stolen Mobile Phone Visit CEIR
Report Suspected Fraud Communication Visit CHAKSHU
Know Your Mobile Connections Visit TAFCOP

प्रदेश के दो उपभोक्ताओं के मामले बानगी भर है। उदाहरण के तौर पर रूफटाप सोलर इस्तेमाल करने वाले लखनऊ के विवेक खंड निवासी रूप कुमार शर्मा के मार्च के खाते में 35 सोलर यूनिट शेष थीं। उनके अप्रैल में बिल में इन सोलर यूनिटों का हिसाब-किताब नहीं मिल रहा है। अप्रैल का जब बिल आया तो ये सोलर यूनिट शून्य हो गईं। एवज में जो रकम रूप शर्मा के बिजली बिल में से कम होनी चाहिए थी, वह नहीं हुई। वाराणसी के रमेश गिडवानी के खाते में मार्च 2025 को 201 सोलर यूनिट थीं। 9 अप्रैल को बिल आया तो बकाया यूनिट की जानकारी ही नहीं है। बची 201 यूनिट शून्य दिख रही हैं और एवज की रकम भी बिल से नहीं घटाई गई।

बिजली अफसर भी दबी जुबान से मान रहे गलती
उत्तर प्रदेश नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विकास अभिकरण (यूपीनेडा) की गाजीपुर इकाई के अधिकारियों के मुताबिक उनके यहां इस तरह की तमाम शिकायतें आ रही हैं। वाराणसी की इकाई ने भी इस तरह की समस्याओं के बारे में बताया है। लखनऊ, बाराबंकी, सीतापुर, रायबरेली और अयोध्या के भी नेडा अधिकारी इस बारे में बता रहे हैं।

हालांकि, उनके मुताबिक बिलिंग संबंधी काम से उनका कोई लेना-देना नहीं है। यह काम पावर कॉरपोरेशन का है। वहीं, पावर कॉरपोरेशन के अधिकारी भी दबी जुबान से इस बात को स्वीकार कर रहे हैं कि बची सोलर यूनिट का समायोजन अप्रैल के बिल में होना चाहिए था पर ऐसा हुआ नहीं है।

पावर कॉरपोरेशन के डायरेक्टर (कॉमर्शियल) निधि कुमार नारंग ने बताया कि मार्च तक बची सोलर यूनिट अप्रैल में जोड़ने का नियम नहीं है। बची यूनिट की रकम अप्रैल बिल में एडजस्ट हो जाती हैं। बिलों की भी जांच जरूरी है क्योंकि जितने किलोवॉट का कनेक्शन है, अधिकतम उतने ही किलोवॉट का कनेक्शन हो सकता है। दावे दुरुस्त हैं तो अगले बिल में रकम समायोजित हो जाएगी।

सोलर पर क्या है नियम
नियम है कि एक अप्रैल से 31 मार्च तक सोलर यूनिट उपभोक्ताओं के खाते में जुड़ती रहती हैं। 31 मार्च को खाते की यूनिट का हिसाब पावर कॉरपोरेशन कर देता है। यह रकम अगले साल अप्रैल में आने वाले बिल में समायोजित कर दी जाती है। हालांकि, उपभोक्ताओं के साथ ऐसा नहीं हुआ। मार्च तक बची हुई सोलर यूनिट तो अप्रैल के बिल में शून्य दिखा रही है, लेकिन उसका हिसाब-किताब अप्रैल के बिल में नहीं हुआ है।


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