विशेष न्यायाधीश महेश चंद्र वर्मा की न्यायालय ने एस पी बलिया व अधीक्षण अभियंता के विरुद्ध टिप्पणी कर दी अंतिम चेतावनी
अवर अभियंता द्वारा प्राथमिकी व चार्जशीट में मुर्दा दिखाने पर विशेष न्यायाधीश के समक्ष जिंदा हुआ पेश
विधि संवाददाता
बलिया: बैरिया थाना क्षेत्र के तिवारी के मिल्की ग्राम सभा में लगभग साढ़े तीन साल पूर्व बिजली विभाग के अवर अभियंता द्वारा झूठा तथ्य झूठा साक्ष्य प्रस्तुत करने के साथ ही नाबालिग के विरुद्ध एफ आई आर दर्ज करने व उसके जिंदा बाप को मुर्दा दिखाने के मामले का पर्दाफाश विशेष न्यायाधीश महेश चंद्र वर्मा की न्यायालय ने उस समय हो गया, जब अदालत के समक्ष मुर्दा बाप जिंदा होकर खड़ा होकर पूरी कहानी सुनाई.
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न्यायालय के समक्ष आरोपी के पिता ने कहा कि साहब मैं मुहम्मद यसीन मुल्जिम का पिता हूं तथा इंजीनियर साहब ने मुझे कागज में मृतक दिखा दिया और यहां तक कि आरोप पत्र मृतक दिखाकर मामले को आगे बढ़ाते जा रहे है जिसपर विशेष न्यायाधीश श्री वर्मा ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए बिजली विभाग के अवर अभियंता विनोद कुमार भारद्वाज तथा मामले के विवेचनाधिकारी सुमंत कुमार सिंह तत्कालीन थाना एंटी पावर थेफ्ट बलिया के विरुद्ध एफ आई आर दर्ज करने हेतु थानाध्यक्ष एंटी पावर थेफ्ट बलिया को आदेशित किया है और तीन दिन के अंदर सूचना की कापी न्यायालय में प्रस्तुत करने हेतु आदेश दी है।
साथ ही न्यायालय ने पुलिस अधीक्षक बलिया तथा अधीक्षण अभियंता पूर्वांचल विद्युत वितरण विभाग लिमिटेड को आदेश दी है कि अपने अधीनस्थों को निर्देशित करे कि भविष्य में कोई असंवैधानिक कार्य न करे जिससे किसी भी व्यक्ति के जीवन एवं स्वतंत्रता के मूलभूत अधिकारों का हनन हो और इसी के साथ आरोपी मुहम्मद शाहिल का जमानत प्रार्थना पत्र मंजूर कर लिया।
अभियोजन के मुताबिक क्या है? घटना- बैरिया थाना क्षेत्र अंतर्गत तिवारी के मिल्की गांव में बिजली चेकिंग करने बैरिया विद्युत उपकेन्द के अवर अभियंता अपनी सहयोगी टीम के साथ 24सितंबर 2021को सवा दस बजे सुबह गए। और जांच किए तो पाए कि मोहम्मद शाहिल पुत्र स्व. मोहम्मद यसीन बिना बकाया जमा किए एवं बिना विभाग से अनुमति लिए अवैध रूप से बिजली का उपभोग कर रहा है जिसके आधार पर विद्युत अधिनियम की धारा 138बी के तहत मुकदमा पंजीकृत कर दिए। जिसका जांच विवेचक सुमंत कुमार सिंह द्वारा किया गया ,लेकिन वादी मुकदमा द्वारा आरोपी के पिता को एफ आई आर में मृतक दिखाया गया तथा जब पूरी जांच समाप्त ही गई तो चार्जशीट भी उसके पिता को मृतक ही दिखाया जबकि सच्चाई यह है कि उसका पिता आज भी जिंदा है तथा न्यायालय के समक्ष खड़ा होकर गुहार लगाने लगा कि साहब मैं अभी जिंदा हूं। जिसपर भड़के न्यायालय ने अवर अभियंता तथा विवेचक के विरुद्ध एफ आई आर दर्ज कर तीन दिनों के पूर्व न्यायालय में कापी प्रेषित करने का आदेश दिया है।
त्रिभुवन नाथ यादव एडवोकेट
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