आगे ही नही पीछे भी

आगे ही नहीं पीछे भी: जैसा परिवेश वैसा साहित्य…

बलिया में साहित्य सृजन का इतिहास बहुत पुराना है। संस्कृत में पद्यकाव्य और गद्य काव्य दोनों ही यहाँ लिखे  गये। यदि महर्षि बाल्मीकि का आश्रम बलिया में माना जाय तो यह कहना पड़ेगा कि संस्कृत का प्रथम महाकाव्य रामायण की रचना भी बलिया क्षेत्र में हुई। रामकालीन अयोध्या की सीमाएँ बलिया के उत्तर सरयू तटीय […]