बलिया : नगर से सटे सनबीम स्कूल निरंतर अपने विद्यार्थियों के हित में कार्य करने हेतु चर्चा का केंद्र बिंदु होता है।विद्यालय का उद्देश्य निरंतर अपने विद्यार्थियो का सर्वांगीण विकास करना होता है,इसीलिए विद्यालय में पाठ्यक्रम के अतिरिक्त भी विभिन्न गतिविधियों द्वारा विद्यार्थियों के बौद्धिक विकास करने का प्रयास किया जाता है। कहा भी गया है जो व्यक्ति अपने गौरवशाली इतिहास को नहीं जानता उसे इतिहास भुला देता हैं।इसी क्रम में दिनांक 28 सितंबर को विद्यालय प्रांगण में बलिया के लेखक एवं निर्देशक आशीष त्रिवेदी द्वारा लिखित नाटक *क्रांति 1942@बलिया* का मंचन किया गया.
इस नाटक में संकल्प साहित्यिक, सामाजिक एवम सांस्कृतिक संस्था के कलाकारों ने बलिया के महान क्रांतिकारियों की भूमिका को जीवंत कर सभी को भावुक करने के साथ साथ गर्व कि अनुभूति कराया।नाटक की प्रस्तुति के दौरान कई बार विद्यालय के विद्यार्थियों तथा प्रांगण में उपस्थित लोगों ने करतल ध्वनियों से कलाकारों का उत्साहवर्धन किया।कार्यक्रम का शुभारंभ बतौर मुख्य अतिथि श्री आशीष त्रिवेदी , डॉ कुंवर अरुण सिंह तथा डॉ अर्पिता सिंह द्वारा तुलसी वेदी पर दीप प्रज्वलित कर किया गया।तत्पश्चात कार्यक्रम संचालक के रूप में विद्यार्थी शौर्य पांडे ने नाटक के विषय “बलिया की क्रांति” के विषय में कुछ महत्वपूर्ण बातें बताई।
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नाटक की प्रस्तुति में कलाकारों ने अपने अभिनय से बलिया की क्रांति को पुनः जीवंत कर दिया। 18 अगस्त 1942 में हुए बैरिया शहादत, 16 अगस्त को बलिया सब्जी मंडी में गोली कांड जैसे दृश्य को देखकर कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोग भाव विभोर हो उठे।नाटक में जानकी देवी के नेतृत्व में बलिया कलेक्ट्रेट पर महिलाओं ने जब तिरंगा फहराया तो दर्शक नारीशक्ति की जयकार करने लगे।
नाटक की प्रस्तुति के पश्चात श्री आशीष त्रिवेदी द्वारा विद्यार्थियों से नाटक संबंधित प्रश्न भी पूछे गए जिसका उत्तर विद्यार्थियों ने बड़ी उत्सुकता के साथ दिया। उनको पुरस्कार भी दिया गया।इस अवसर पर विद्यालय निदेशक डॉ कुंवर अरुण सिंह ने सभी विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि *बलिया को बागी कहने के पीछे बहुत गूढ़ अर्थ है। बलिया अपने क्रांतिकारियों के बल पर सन 1942 में ही आजाद हो गया था। उन क्रांतिवीरो की कुर्बानी के कारण बलिया का नाम इतिहास के पन्नो पर स्वर्णाक्षरों में अंकित हैं। महान नेता वही होता है जो अन्याय और अत्याचार के खिलाफ पहली आवाज बुलंद करे। बलिया के युवा पीढ़ी का नैतिक कर्तव्य है कि अपने गौरवशाली इतिहास को जाने और उसे संरक्षित करने का प्रयास करे.
प्रधानाचार्या डॉ अर्पिता सिंह ने अपने संबोधन में सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया तथा विद्यार्थियों को अभिनय हेतु प्रेरित करते हुए कहा कि अभिनय की प्रतिभा बहुत कम लोगों में पाई जाती है।यदि आप अभिनय में रुचि रखते है तो आगे बढ़कर अपनी कला को निखारें।इस अवसर पर विद्यालय प्रशासक श्री संतोष कुमार चतुर्वेदी, विद्यालय डीन श्रीमती शहर बानो, हेडमिस्ट्रेस श्रीमती नीतू पाण्डेय आदि की भूमिका सराहनीय रही.
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