बलिया. महर्षि भृगु की तपोस्थली एवं उनके शिष्य दर्दर मुनि के नाम पर लगने वाले ऐतिहासिक ददरी मेले में इस बार हर कुछ नए अंदाज में होगा. जहां लाखों रुपए खर्च करके भारतेंदु मंच तैयार किया जा रहा है. वही मेले में नई-नई दुकान भी वैज्ञानिक तरीके से लगेगी. मेले में आयोजित होने वाले संस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान सुरक्षा की दृष्टि से बाउंसर भी बुलाये गये हैं. इसके लिए अभी से तैयारी शुरू हो गई है. इस बार रसड़ा की मशहूर रसमलाई भी ददरी मेले में विशेष आकर्षण का केंद्र बनेगा.
इसके लिए नगर पालिका अध्यक्ष संत कुमार ने रसड़ा के रसमलाई व्यापारी बबलू जायसवाल के साथ काफी देर तक चर्चा की.बलिया के ददरी मेले का इतिहास बहुत पुराना है और इस मेले में हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं. ददरी मेले के आयोजन को लेकर विभिन्न मान्यताएं हैं. कार्तिक पूर्णिमा को लगने वाला यह विशेष मेला हर किसी के लिए महत्वपूर्ण होता है. कार्तिक पूर्णिमा के पावन पर्व पर पूरा जनपद ही भक्ति में डूब जाता है.बलिया में हर वर्ष लगने वाला ऐतिहासिक ददरी मेला लखनऊ महोत्सव की तर्ज पर लगेगा. मेले में गंगा स्नान का भी विशेष महत्व है. माना जाता है कि गंगा स्नान कर भृगु मंदिर में जल चढ़ाने से जन्म-जन्मांतर के पाप कट जाते हैं. बहुत दूर-दूर से लोग इस विशेष कार्तिक पूर्णिमा में प्रतिभाग करना अपना भाग्य समझते हैं. इस बार 25 नवंबर से 15 दिसंबर तक ददरी मेला लगेगा.
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