बलिया मेडिकल एसोसिएशन तथा बलिया नर्सिंग होम एसोसिएशन के संयुक्त तत्वावधान में बुधवार की देर शाम नगर के एक निजी होटल में हीट रिलेटेड इलनेस (एचआरआई) की नवीनतम जानकारी व बचाव पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर वक्ताओं ने हिट रिलेटेड इलनेस व उसके लक्षणों पर विस्तार से चर्चा किया। इस दौरान हीट वेव से बचाव पर भी वक्ताओं ने अपने-अपने विचार साझा किया।
आर्सेनिक पर आप शांत क्यों, चुनाव में कितना बड़ा मुद्दा ?
वैसे तो पुरानी कहावत चली आ रही है कि अगर कभी तीसरा विश्व युद्ध हुआ तो उसका कारण पानी ही होगा. बहरहाल, पानी की समस्या तो पिछले दिनों में देश के कई इलाकों में देखने को मिली हैं. बैंगलौर से जो खबरें आईं थीं वो दिल दहला देने वाली हैं. लेकिन, इन सब के बीच जहां पानी उपलब्ध है. वहां इससे भी बड़ा संकट मुंह बाए खड़ा है. वह है आर्सेनिक का राक्षस, यह धीरे-धीरे कर के अपनी चपेट में लोगों को ले रहा है. सरकारों का तो क्या कहें, लोगों में भी इसे लेकर कोई खास परेशानी या बेचैनी नहीं है. कहीं से कोई आवाज नहीं. इंटरनेट पर कंटेंट खोजने बैठिए तो पता चलता है कि कुछ एक जानकारी ही उपलब्ध है और उससे भी कोई खास तथ्य पता नहीं चलते हैं.
हीटवेब: अस्पतालों में अब दिखने लगा असर, डीएम ने दौरा कर देखा अस्पताल का सच
हीटवेब ने जहां अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है. वहीं शासन प्रशासन के अफसरों की बेचैनी भी बढ़नी शुरू हो गई है. आलम यह है कि जिला अस्पताल में हीट वेव और लू लगने वाले मरीजों का तादाद बढ़ना शुरू हो गया है. वहीं अस्पताल प्रशासन ने जिला अस्पताल में एक हीटवेब वार्ड भी शुरू कर दिया है. जिसमें हीट वेव से पीड़ित मरीजों का उपचार किया जाएगा. भीषण धूप के चलते अस्पताल में हर रोज एक दो मरीज हीट वेव से पीड़ित आ रहे हैं. हालांकि इन मरीजों को शासन की शक्ति के चलते हीटवेव पीड़ित नहीं बताया जा रहा. इन्हीं तैयारियों का जायजा लेने के लिए जिलाधिकारी रवींद्र कुमार ने सोमवार को जिला महिला और पुरुष अस्पताल का निरीक्षण किया।
हीट वेव : एडवाइजरी जारी कर जिलाधिकारी ने लोगों से की हीटवेव से बचने की अपील
।जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण अध्यक्ष/ जिलाधिकारी रवींद्र कुमार ने सर्वसाधारण को सूचित किया है कि ग्रीष्म कालीन ऋतु प्रारम्भ हो चुकी है। उक्त ग्रीष्म कालीन ऋतु/हीट वेव/लू के प्रभाव को निस्रांकित उपायों/दिशा-निर्देशों का पालन करते हुये कम किया जा सकता है। तदनुसार निम्न दिशा-निर्देश निर्गत किये जाते हैं:-पर्याप्त मात्रा में पानी / तरल पदार्थ जैसे छाछ, नीबू का पानी, आम का पना का उपयोग करें। हल्के रंग के सूती एवं ढीले कपड़े पहने एवं सर को ढकें एवं कड़ी धूप से बचे।
जिला अस्पताल : अफसरों की उदासीनता से चर्म रोग विभाग बना अखाड़ा
प्रशासनिक उदासीनता के चलते जिला चिकित्सालय का चर्म रोग विभाग अखाड़ा बनता जा रहा है. आलम यह है की बिना डिग्री वाले डॉक्टर को चर्म रोग विभाग का चैंबर सौंप दिया गया है. जबकि वैध डिग्रीधारी चिकित्सक इधर-उधर भटक रहे है. उन्हें कभी कालरा वार्ड तो कभी ट्रामा सेंटर में बैठा दिया जा रहा है. इससे जिला चिकित्सालय में तैनात चिकित्सक तो नहीं समझ पा रहे है. वहीं मरीज भी परेशान होकर भटक रहे है.