सीएमएस के प्रबंधन व नियंत्रण नहीं रह गया जिला सदर अस्पताल, अपने डॉक्टर्स नहीं दिखा पाते हनक
बलिया। जिला चिकित्सालय इन दिनों सुर्खियों में आ गया है, कभी ऑपरेशन तो कभी प्राइवेट प्रेक्टिस. इससे साफ जाहिर हो रहा है कि अब जिला अस्पताल में सीएमएस का कोई प्रबंधन व नियंत्रण नहीं रह गया है. गुरुवार को भी एक बार फिर जिला अस्पताल ऑपरेशन के नाम पर सर्जन द्वारा मरीज से 15000 रुपए की डिमांड करने का मामला प्रकाश में आया.
जिसके बाद परिजनों ने जमकर जिला अस्पताल में बवाल काटा. सूचना पर पहुँची पुलिस ने बातचीत कर मामले को किसी तरह शांत कराया। यह पहला मामला नहीं है, ऐसी घटनाएं जिला अस्पताल के लिए आमबात हो गई है। पीड़ित परिवार कि महिलाओं ने जिस तरह खुलेआम पूर्व सीएमएस/सर्जन डॉ वी. के. सिंह व सीएमएस पर आरोप लगाया. इस प्रकरण को शासन के अफसरों को गंभीरता से लेना होगा. तभी जिला अस्पताल कि साख बच पाएगी.
Report Suspected Fraud Communication Visit CHAKSHU
Know Your Mobile Connections Visit TAFCOP
आपको बता दे कि जिला अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर सुविधाओं का इन दिनों बहुत टोटा है। इसके लिए सीएमएस भी कम जिम्मेदार नहीं है. उनका हमेशा यही कहना कि जिला अस्पताल में सबकुछ ओके है. इसका दावा जरूर करते हैं, लेकिन सुविधाएं न मिलने से मरीज मारे -मारे फिरते नजर आते हैं। चाहे अल्ट्रासाउंड, एक्स-रे व सीटी स्कैन की बात हो या अन्य महत्वपूर्ण जांचों की। कुछ भी पटरी पर नहीं है। ऑपरेशन के नाम पर मरीजों से खुलेआम वसूली कई बार सामने आ चुकी है। लेकिन उन चिकित्सकों पर कार्रवाई आज तक नहीं किया गया. इतना जरूर है कि जिला चिकित्सालय के आस-पास चिकित्सकों की निजी प्रैक्टिस एवं समय से अस्पताल न आना भी मरीज के लिए मुसीबत बना हुआ है। गुरुवार को मरीज के साथ आए तीमारदारों ने आरोप लगाया कि चिकित्सक द्वारा ऑपरेशन के नाम पर 15000 मांगे गए और न देने पर मरीज को वाराणसी रेफर कर दिया गया। यहां चिकित्सकों द्वारा आए दिन मरीजों से ऑपरेशन एवं अन्य गंभीर बीमारियों में पैसा वसूला जा रहा है।
इसकी शिकायत पूर्व में भी जिलाधिकारी एवं अन्य अधिकारियों के निरीक्षण के दौरान तीमारदारों ने की थी। इसका खुलासा गुरुवार को भी मरीज तथा उसके तीमारदारों ने किया। उन्होंने मरीज का ऑपरेशन न कर यहां से रेफर करने पर अस्पताल में जमकर बवाल काटा। मरीज के साथ ही परिजनों का आरोप है कि पैसा न देने पर उसका ऑपरेशन नहीं हुआ है। उसने इसके लिए डॉ. वीके सिंह को जिम्मेदार ठहराया है। लोगों कि माने तो सर्जन डॉ. वी. के सिंह करीब 20 साल से जिले में जुगाड़ लगाकर टिके है. जिससे अस्पताल के चिकित्सकों में भी असंतोष है. इस बात को लेकर अंदर ही अंदर असंतोष पनप रहा है.
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर सुजीत कुमार यादव ने बताया कि सर्जन डॉ. वी. के सिंह पर पैसे लेने के आरोप की मुझे जानकारी नहीं है। हां एक महिला आई थी, जिनके पिताजी का ऑपरेशन होना था। जिसको चिकित्सक द्वारा बेहोशी के डॉक्टर के पास भेजा गया था। जिन्होंने हार्ट और प्लेटलेट्स कम में पाई। उन्होंने फिजिशियन के पास ओपिनियन के लिए भेजा था। लेकिन फिजिशियन ने ऑपरेशन करने से मना कर दिया और अभी दवा चलाने की सलाह दी है.
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