Ballia

महाप्राण कवि थे निराला: डॉ रघुवंश मणि

बलिया। बलिया हिंदी प्रचारिणी सभा के चलता पुस्तकालय सभागार में शनिवार को बसंत पंचमी, सरस्वती पूजन एवं महाप्राण सूर्यकान्त ‘निराला’ की जयंती बड़ी धूमधाम से मनाई गई।इस मौके पर अध्यक्षता कर रहे डॉ० रघुवंश मणि पाठक ने निराला के जीवन व साहित्य कृत्यों पर विस्तृत तरीके से प्रकाश डाला।
अध्यक्षता कर रहे डॉ पाठक ने कहा कि निराला जी महाप्राण थे। उन्होंने लिखा हुआ दु:ख ही जीवन की कथा रही। क्या कहूं जो अब तक नहीं कहीं। मोर मूर्छित हुई खाल जो ढाल बनी थी, ढीली पड़ गयी। निराला ने छ्न्द मुक्त रचना नहीं बल्कि मुक्तछ्न्द में लिखा है। महर्षि अशोक ने कहा निराला स्वतंत्रतावादी थे पराधीनता उन्हें स्वीकार नहीं थी। डॉ मनजीत सिंह ने कहा निराला को किसी पाश में बाधा नहीं जा सकता है। डॉ० शत्रुघन पाण्डेय ने कहा निराला आम आदमी के पैरवीकार थे। रंगकर्मी आशीष त्रिवेदी ने कहा तोड़ने वाली की क्षमता निराला जी में थी। डॉ० प्रमोद शंकर पाण्डेय ने कहा निराला छायावाद के चौथे स्तंभ थे। जिन्होंने अपने उस काल में भी प्रयोगवाद के मार्ग को प्रशस्त किया।
काव्य गोष्टी को आगे बढ़ाते हुए शिवजी पाण्डेय ‘रसराज’,  विजय मिश्र, डॉ० इफ्तेखार ख़ाँ, धर्मराज गुप्ता, शशिप्रेम देव, प्रेमचंद, रामेश्वर सिंह, नवचंद तिवारी, उन्मेष कुँवर आदि ने अपनी रचनाओं से सबको ओत प्रोत कर दिया। आभार व्यक्त पं०भोलानाथ मिश्रा ने की। संचालन डॉक्टर शत्रुघन पांडे ने की तथा विजय शंकर पाण्डेय ने वाणी वंदना से गोष्ठी की शुरुवात की एवं तबले पर रसराज ने संगत की।


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