बलिया। भारतीय राजनीति को साम्प्रदायिक उन्माद और जातीय दुराव से मुक्त कराने के लिए नवजागरण का समय आ गया है, जिसके लिए व्यापक पैमाने पर जनजागरण की आवश्यकता है।
’आईना’ जनजागरण मंच द्वारा आयोजित जवाहर लाल नेहरू जयन्ती गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ पत्रकार अशोक ने अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा व्यर्थ के मुद्दों को उठाकर जनता को भ्रमित करने वाली प्रवृत्ति का पोल खोलने की आवश्यकता बताई और कहा कि सर्वकल्याणकारी शासन के लिए लोकमत के अनुरूप समावेश दृष्टिकोण अपनाना जरूरी है। उन्होंने इस बात पर चिन्ता व्यक्त की कि जनता की गाढ़ी कमाई से स्थापित किये गये सार्वजनिक उद्यमों को निजी क्षेत्र को बढ़ावा देने के नाम पर और सार्वजनिक उद्यमों में हानि दिखाकर पूँजीपतियों को बेंचा जा रहा है। जो अर्थनीति देश में चल रही है वह बेकारी बढ़ाने वाली, आय तथा माँग घटाने वाली है। यह विपरीत लक्षण है कि माँग घट रही है और मूल्य बढ़ रहे हैं। उन्होंने देश भक्ति का स्तर बनाये रखने की अपील की और कहा कि बाजीगरी से लोकमत हासिल करना इन्द्रजाल का काम है देश भक्तों का नहीं। नेहरू जी की विरासत को आगे बढ़ाने की जरुरत है उसे बेंचने की नहीं।
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गोष्ठी का बीज व्याख्यान देते हुए डॉ०इलियास ने कहा कि देश में कुछ वास्तविक मुद्दे हैं और कुछ सत्ता लोलुपों ने अपने अपने हित में उछाल रखें हैं। हमारा काम उन्हें आईना दिखाना है। गोष्ठी का संचालन डॉ०आजमी ने किया जिसमें शिवजी पाण्डेय ‘रसराज’ ने अपनी अन्योक्तिपरक गीत प्रस्तुत करके नवजागरण का सूत्रपात कर दिया। मदसूदन श्रीवास्तव ने संविधान को दरकिनार कर के लोकतांत्रिक सरकार चलाने को अशुभ संकेत माना। रणजीत सिंह ने छद्मवेशी राजनीति से नागरिकों के मूल अधिकारों पर पड़ने वाले प्रभावों को अनुचित बताया। तेजनारायण ठाकुर ने कहा कि राजनीति को पैर के बल चलना चाहिए। आशीष त्रिवेदी ने कहा कि सांस्कृतिक मूल्यों का क्षरण और अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता और सांस्कृतिक परिवेश को एकोन्मुखी बनाने की प्रवृत्ति भारतीय संस्कृति के अनुरूप नहीं है। सुशान्त राज भारत ने राजनीति को देश सेवा के लिए समर्पित होने के बजाय, अपने लिए कर लेने को अनुचित बताया। विनोद सिंह ने कहा कि नेहरू और पटेल को लेकर राजनैतिक भ्रम फैलाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने नेहरू काल को भारतीय राजनीति का आधार काल बताया और कहा कि उस अवधि में नेहरू ने जो किया उससे अच्छा कोई कर नहीं सकता। मु०अस्फाक ने कहा कि मौलाना आजाद और नेहरू जी ने सस्ती और सर्वसुलभ शिक्षा का सपना देखा था, जिस पर पानी फिरता नजर आ रहा है। उन्होंने अंत में आभार भी व्यक्त किया।
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बहुत ही अच्छी रिपोर्टिंग । इससे अच्छी रिपोर्टिंग की कल्पना करना भी ताजमहल में कुछ ईटें जड़ने के समान होगी । जाहिर है कि ताजमहल में कुछ और नया करने से उसकी सारी खूबसूरती ही विनष्ट हो जाएगी। इस देश में जो राजनैतिक रूप से जो घटित हो रहा है उसका मूर्त बिम्ब इस में परिलक्षित हो रहा है । विशेष रुप से जनता की वैज्ञानिक सोच और समझ को भोथराने के लिए जिस प्रकार से मिथकों का सहारा लिया जारहा है और भोली और मासूम जनता के विवेक को कुन्द करने के लिए उसे धर्म और सम्प्रदाय तथा जातियों में विभक्त कर अपनी कुर्सी के पायों को मजबूत करने की अनैतिक प्रयास हो रहे हैं उसपर प्रहार करती यह रिर्पोट अत्यन्त ही सामयिक और सार्थक है । प्राइवेटाइजेशन और आत्मनिर्भ ता के नाम पर लोकतान्त्रिक मन्दिरों ( पब्लिक सेक्टर ) को घाटे के नाम पर तोहफे में अपने चहेतों पूजीपतियों को उपहार स्वरूप दिपा जारहा है , के आशय की रिपोर्ट सराहनीय है। नेहरू जी द्वारा किए गए आधार भूत ढाँचे को तहस नहस करके अक्षम्य अपराध को अंजाम दिया जारहा है । जिसकी एकमात्र काट जनता के बीच जागरण और नवजागरण ही है । इस बात से मैं सहमत हूँ। आपको उक्त संगोष्ठी का सजीव और सार्थक चित्रण के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ।