बलिया: मां की अर्चना का, एक छोटा उपकरण हूँ” जैसे सांघिक गीत गाते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बलिया नगर के स्वयंसेवकों द्वारा रविवार दिनांक 14 जनवरी 2024 को बलिया जिले के तिखमपुर स्थित कृषि मंडी के परिसर में मकर संक्रांति उत्सव बड़े धूमधाम से सम्पन्न हुआ. इस दौरान लोगों के एक साथ बैठकर खिचड़ी खाया.
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मुख्य अतिथि गोरक्ष प्रान्त के प्रान्त प्रचारक सुभाष जी, कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे नगर संघचालक डॉ. बृजमोहन सिंह व सह नगर संघचालक परमेश्वरनश्री द्वारा प्रभु श्रीराम, भारत माता, पूज्य डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार व पूज्य श्रीगुरुजी माधवराव सदाशिव राव गोलवलकर के चित्र पर पुष्पार्चन व दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। ध्वजारोहण व एकलगीत के बाद मुख्य अतिथि प्रान्त प्रचारक सुभाषजी ने बताया कि मकर संक्रांति प्रकृति में परिवर्तन का प्रतीक है। हमारी काल गणना दो प्रकार से होती है। एक सूर्यमास के अनुसार व दूसरा चंद्रमास के अनुसार। सूर्य 12 राशियों में संचरण करता है। जब सूर्य एक राशि में रहता है तो उसे सौर्यमास कहतें है और जब सूर्य सभी राशियों से होते हुए अपना संचरण पूर्ण करता है तो उसे सौर्यवर्ष कहतें है। जिसमें 365 दिन होता है। सूर्य ऊर्जा का प्रचंड स्रोत है। जब सूर्य एक राशि से दूसरे राशि में प्रवेश करता है तो उस घटना को संक्रांति कहतें है।
जब सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है तो उसे मकर सक्रांति कहतें हैं। संक्रांति का मतलब सम्यक दिशा में क्रांति होता है।उन्होंने आगे बताया कि आज हम अयोध्या में श्रीराम मंदिर को बनते हुए व प्रभु रामलला के प्राण प्रतिष्ठा होते है देख रहें हैं यह सौभाग्य हमें इसी तरह नहीं मिला है बल्कि इसके लिए लाखों रामभक्तों ने अपने जीवन का बलिदान दिया है। उन्होंने कारसेवा के दौरान बलिदान हुए कोठारी बंधूओं का उल्लेख करते हुए बताया कि जब कोठारी बंधूओं के बलिदान की बात उनकी माँ से बताया गया तब उनकी मां ने बताया कि उन्हें अतिव प्रसन्नता है की उनके पुत्र राम के काम आए और दुख इस बात का है कि मेरा और कोई पुत्र नहीं है नहीं तो उसे भी में रामकार्य के लिए बलिदान कर देती। उन्होंने मकर संक्रांति के बारे में बताया कि समाज से छुआछूत और रूढ़ियों को समाप्त कर समरसता एवं स्वाभिमान जगाने का पर्व है मकर संक्रांति। यह पर्व अपने अंदर चेतना जगाने और भारत को पुन: परम वैभव बनाने का संकल्प लेने का है। विभिन्न जातियों में बंटे हिन्दू समाज को एकजुट होने की आवश्यकता है।
कहा कि जब तक हिन्दू समाज संगठित नहीं होगा, भारत माता के अस्तित्व पर खतरे के बादल मंडराते रहेंगे। उन्होंने आगे कहा कि डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार ने समाज में जिन गुणों की आवश्यकता का अनुभव किया उन्हीं के अनुरूप उत्सवों की योजना की। प्रत्येक उत्सव किसी विशेष गुण की ओर इंगित करता है। मकर संक्रांति सामाजिक समरसता का प्रतीक है। यह पर्व हमें अंधकार से प्रकाश की ओर, अज्ञान से ज्ञान की ओर, आलस्य से कर्मठता की ओर प्रवृत्त होने की प्रेरणा देता है। उन्होंने आग्रह किया कि समाज में परस्पर प्रेम, समता, ममता का व्यवहार सदैव बना रहे, तभी समाज सुव्यवस्थित एवं एक सूत्र में बंधा रह सकता है।
अंत मे संघ प्रार्थना हुई व उसके बाद लगभग दो हजार व्यक्तियों ने खिचड़ी का आनन्द लिया। कार्यक्रम के मुख्य शिक्षक नगर शारीरिक शिक्षण प्रमुख श्री गणेश थे। अतिथियों का परिचय नगर कार्यवाह रवि सोनी ने कराया।इस अवसर पर मा. सह जिला संघचालक श्री विनोद जी, अखिल भारतीय किसान संघ गोरक्षप्रान्त के प्रांत संगठन मंत्री अरविंद, विभाग प्रचारक तुलसीराम, विभाग संपर्क प्रमुख अनिल सिंह जी, जिला प्रचारक विशाल, जिला कार्यवाह हरनाम, सह जिला कार्यवाह अरुण मणि, सह नगर कार्यवाह भोलाजी, नगर प्रचारक अविनाश के साथ विभाग, जिला व नगर के कार्यकर्ताओं के साथ बाल्मीकि शाखा के कार्यकर्ता स्वयंसेवक व विचार परिवार के लोग व मातृशाक्तयों ने स्वादिष्ट खिचड़ी का आनन्द लिया।
प्रान्त प्रचारक सुभाष ने बलिया में लोगों को पूजित अक्षत प्रदान किया। श्रीराम मंदिर नूतन विग्रह प्राण प्रतिष्ठा गृह जनसंपर्क महाभियान के अंतर्गत अपने बलिया प्रवास के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ गोरक्षप्रान्त के प्रान्त प्रचारक सुभाष जी ने सी.ए. बलजीत सिंह, जनसंपर्क महाभियान समिति की सह समन्वयक श्रीमती नीरू भटनागर, बॉलीबाल खिलाड़ी नीरज राय, ब्रह्मकुमारी की बी.के. सुमन दीदी, महावीर घाट स्थित गायत्री शक्तिपीठ के विजयेंद्र चौबे, सूर्यप्रकाश, प्रतिष्ठित व्यवसायी अनुज सरावगी तथा हरेराम चौधरी को अयोध्याजी से आये पूजित अक्षत, श्रीअयोध्याजी आने का निमंत्रण व श्रीराम मंदिर के चित्र को प्रदान कर आग्रह किया कि प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर सभी अपने निकटस्थ देवालयों पर सुंदरकांड, हनुमान चालीसा, भजन-कीर्तन करें तथा सूर्यास्त के बाद घरों को घी के दियों से सजाएं व दीवाली मनाए तथा 22 जनवरी 2024 के बाद श्रीरामलला के दर्शनार्थ आएं क्योंकि यह अवसर लाखों बलिदानियों के बलिदान के बाद आया है।
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