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सामाजिक समरसता का महान पर्व मकर संक्रांति उत्सव

बलिया: मकर संक्रांति उत्सव सामाजिक समरसता का महान पर्व है और यह समाज को जोड़ने का कार्य करता करता है.
यह बातें प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य व वरिष्ठ प्रचारक राम आशीष जी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बलिया नगर के तत्वावधान में शहर के तिखमपुर स्थित नवीन मण्डी स्थल में आयोजित मकर संक्रांति उत्सव व सहभोज के अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में कही.

मुख्य वक्ता रामाशीष, सह जिला संघचालक डॉ. विनोद सिंह व कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे गंगा समग्र के तमसा भाग प्रमुख व प्रान्त कार्यकारिणी के सदस्य दिलीपजी द्वारा संयुक्त रूप से भारत माता के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्वलन व परम पूज्य डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार व पूज्य माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर उपाख्य श्री गुरुजी के चित्र पर पुष्पार्चन के बाद कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ.

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ध्वज लगने के बाद मुख्य वक्ता रामाशीष जी ने आगे बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ छह उत्सव मनाता है, उसमें मकर संक्रांति एक प्रमुख उत्सव हैं। संघ द्वारा मनाए जाने वाला मकर संक्रांति उत्सव सामाजिक समरसता का संदेश देता है। उन्होंने कहा कि संघ अपने स्थापना काल से ही सामाजिक समरसता को लेकर कार्य कर रहा है। संघ के स्वयंसेवक संपूर्ण हिंदू समाज को एक सूत्र में पिरोने का कार्य कर रहे हैं। उन्होंने आगे बताया कि जिस प्रकार गुड़ स्वयं को अग्नि पर तपाकर व गला कर बिखरे हुए तिल के दानों को अपने साथ जोड़ लेता है और एक स्वादिष्ट व्यंजन का निर्माण करता है, ठीक उसी प्रकार हमें भी गुड़ की भूमिका निभानी है और स्वयं को तपाकर अपने संपूर्ण हिन्दू समाज को एकता के सूत्र में पिरोना है।

सामाजिक समरसता से ही हम मानवीय मूल्यों की रक्षा कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ लगातार 99 वर्षों से लोगों में राष्ट्रभक्ति जगा कर व्यक्तित्व का निर्माण कर रहा है और संघ का मानना है कि समरस समाज के द्वारा ही देश को परम वैभव पर पहुंचाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि ऊंच-नीच छोटे बड़े का भेद किसी को भी नहीं करना चाहिए भारत देश में रहने वाला प्रत्येक व्यक्ति एक है।
उन्होंने कहा कि सन 1863 में मकर संक्रांति के दिन स्वामी विवेकानंद का जन्म हुआ था, जिन्होंने आगे चलकर विश्व धर्म संसद में भारत की आध्यात्मिक शक्ति का परिचय कराया था.

उन्होंने आगे बताया कि स्वामी विवेकानन्द ने अस्पृश्यता खत्म करने की बात कही थी। उन्होंने समाज से आह्वान किया कि सभी हिन्दू को एक हो जाना चाहिए। जब हिन्दू संगठित होता है तो एक समरस समाज का निर्माण होता है जहां न कोई बड़ा होता है और न कोई छोटा। उन्होंने आगे कहा कि समाज वहीं सुरक्षित होता है जहां हिन्दू समाज संगठित रहता है।
उन्होंने आगे कहा कि हिन्दू समाज अपने प्रचंड संस्कृति व दर्शन के कारण विश्व में जाना जाता है.

हमारी संस्कृति में ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की प्रधानता है जहां हम पूरे विश्व को ही अपना बन्धु मानते हैं। हमारा दर्शन हम सब एक हैं के सूत्र पर कार्य करता है। उन्होंने कहा कि केवल कार्यक्रमों में ही आने से संघ नहीं समझा जा सकता है, संघ समझने के लिए संघ की नियमित लगने वाली शाखाओं में जाना चाहिए.

अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में गंगा समग्र के तमसा भाग के संयोजक व प्रान्त कार्यकारिणी के सदस्य दिलीपजी ने मकर संक्रांति उत्सव की विशद व्यख्या करते हुए उपस्थित जनों को अपना आशीर्वचन प्रदान किये। अंत में संघ प्रार्थना के बाद में नगर के हजारों बन्धु व माताएं बहनों ने खिचड़ी का आनन्द लिया।

कार्यक्रम के मुख्य शिक्षक जिला शारीरिक शिक्षण प्रमुख चंद्रशेखर सिंह थे। अतिथियों का परिचय नगर कार्यवाह रवि, अमृत वचन अम्बरीश शुक्ल व एकलगीत दिव्यांश ने व प्रार्थना बाल्मीकि शाखा के वरिष्ठ स्वयंसेवक भोलाजी ने कराया।

इस अवसर पर सह विभाग कार्यवाह हरनाम, जिला प्रचारक अखिलेश्वर, विभाग सम्पर्क प्रमुख अनिल सिंह, डॉ. सन्तोष तिवारी, ओम प्रकाश राय, सह नगर कार्यवाह भोला, नगर संयोजक पर्यावरण संरक्षण दिनेशजी बबलू, संजय वर्मा आदि के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक व कार्यकर्ता बन्धु उपस्थित रहे.


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