कामयाबी एक खूबसूरत अहसास है, हर कोई जिंदगीमें सफलता चाहता है। हर कोई जीतना चाहता है। हार के पीछे ही जीत का रहस्य छिपा हुआ है। हार आपको खुद को सुधारना सिखाती है। असफलता आपको संघर्ष करना सिखाती है। नाकामयाबी आपको सच्चे दोस्तों की पहचान करना सिखाती है, क्योंकि जो लोग हार के बाद आपका हौसला बढ़ाने आते हैं, वही आपके सच्चे दोस्त होते हैं।
शतरंज खेलते हुए कभी कभी एक कदम पीछे हटना पड़ता है। जिंदगी बस ऐसी ही है। लेकिन पीछे हटना हार नहीं है। क्योंकि आप जब चार कदम पीछे आयेंगे तो ही आप लंबी छलांग लगा पायेंगे।
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कुश्ती, कैरम, शतरंज, बैडमिंटन, दौड़ना, भाला फेंकना, मुक्केबाजी, जिमनास्टिक, जूडो, कराटे, गोल्फ, शूटिंग, तैराकी, और ऐसे कई अन्य खेल हैं। इन खेलों में काफी मेहनत करनी पड़ती है। उसमे अपनी बुद्धि, शारीरिक क्षमता, निर्णय लेने की क्षमता का पूरा उपयोग करना पड़ता है। इस खेल में अपनी मदद करने वाला कोई नहीं होता। सही निर्णय लेने से जीत हासील होती है। लेकिन कई खेलों में कम से कम दो खिलाड़ी होते हैं उदा. टेबल टेनिस, बैडमिंटन आदि। अपने साथी से तालमेल बिठाकर दोनों को एक-दूसरे की ताकत और कमजोरियों को जानकर विरोधी खिलाड़ियों की कमजोरियों को देखने और उसके अनुसार भाँपने की आवश्यकता है।
अनेक खिलाड़ी वाले बहुत सारे खेल खेले जाते हैं। उदा. क्रिकेट, हॉकी, फुटबॉल, वॉलीबॉल, कबड्डी, खो-खो, रिले, क्रिकेट, और हॉकी आदि। इन खेलों में टीम भावना महत्वपूर्ण है। जब पूरी टीम जीतने के इरादे से खेल रही होती है तो उनका मनोबल बहुत ऊंचा होता है । एक-दूसरे के साथ तालमेल बिठाकर खेला जाता है।
मानव जीवन में खेलों का महत्वपूर्ण स्थान है। मन को शांत करने और शरीर और दिमाग को तरोताजा करने के लिए उन्हें जीवन के दर्द और चिंताओं को भूलकर विभिन्न खेल किए जा सकते हैं। खेलकूद में शरीर को भरपूर व्यायाम मिलता है और यह शरीर को मजबूती मिलती है। खेलकूद, मनोबल, लगन, आदि के कारण गुण भी बढ़ते हैं। संघ भावना, नेतृत्व गुणों को बढ़ावा देता है और इन गुणों का उपयोग जीवन में विभिन्न अवसरों पर किया जाता है। खेलों के उतार-चढ़ाव से खेलों की गुणवत्ता भी बढ़ती है। अंतर्राष्ट्रीय खेल अंतर्राष्ट्रीय सद्भावना को भी बढ़ावा देते हैं। वे जिस तरह से खेल खेलते हैं, उसके आधार पर वे दो समूहों, व्यक्तिगत और टीम में आते हैं । व्यक्तिगत खेलों में खिलाड़ियों का व्यक्तिमत्व और व्यक्तिगत कौशल दांव पर लगा होता है। उनमें दृढ़ता, तप, खेलकूद, आदि गुण पाए जाते हैं और उनका विकास होता है।
हम सब खेल खेलते हुए बड़े हुए हैं। विभिन्न खेल खेलना हमारे विकास का एक अभिन्न अंग है। जब हम खेल खेलते हैं, तो हम सिर्फ खेलने के अलावा और भी बहुत कुछ सीखते हैं। हम मूल्यांकन, सहयोग, अनुभव, साझा करने, हारने और जीतने जैसी चीजों का निरीक्षण करते हैं। जब हम छोटे होते हैं तब भी हम बहुत सारे खेल खेलते हैं और कभी-कभी हम इससे कुछ सीखते हैं। लेकिन जैसे-जैसे हम बड़े होते जाते हैं, खेल के प्रति हमारा नजरिया बदलता जाता है। हममें से ज्यादातर लोगों ने बचपन में सांप-सीढ़ी (Snakes and Ladders) का खेल खेला होगा। इस खेल में साँपों से बचकर और सीढ़ी से आखिरी चौक तक पहुंचना होता है। इस खेल में हम कभी कभी आखिरी चौक के पास पहुंच जाते हैं, लेकिन अगले पग पर अक्सर साँप के मुंह से नीचे उतरना पड़ता है। सापसिडी एक प्राचीन भारतीय खेल है जिसे पहले मोक्षपट्टम, ज्ञानचौम्फर, पच्चीसी, वैकुंठपाली, लीला आदि के नाम से जाना जाता था। यह खेल १८९२ में भारत से इंग्लैंड चला गया और ५१ साल बाद १९४३ में, मिल्टन ब्रैडली ने इस खेल को अमेरिका में पेश किया।
हर खेल से हमे कुछ ना कुछ संदेश मिलता है। या उससे कुछ सीखने को मिलता है। साँप मानव जीवन के दोषों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जबकि सीढ़ियां इन गुणों का प्रतीक हैं। अगर आप जीतना चाहते हैं तो आपको जीवन में कई गुणों की सीढ़ियां चाहिए। इन सीढ़ियों पर चढ़ते समय रास्ते में कई मुश्कीले, बाधाएं आपको सफल होने से रोकती हैं। जहाँ सफलता प्राप्त करने के रास्ते में रुकावटें आ सकती हैं, वहीं राह को आसान बनाने के लिए सीढ़ियाँ भी उपलब्ध हो सकती हैं, जिसके लिए प्रयास और सफलता की आवश्यकता होती है। हम विपत्ति पर काबू पाने में एक लंबा सफर तय कर चुके हैं, हम चार कदम आगे, दो कदम पीछे आ गए हैं। लेकिन यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ऐसा नहीं है ।
‘जीवन एक खेल का मैदान है’। परिस्थितियों के अनुसार मनुष्य को अपनी भूमिका चंचल भाव से निभानी चाहिए और खेलते समय कठिनाइयों, विपत्तियों, सुख-दुःखों का मुस्कान के साथ सामना करना उचित है। खेल ऐसा दृष्टिकोण बनाता है। खेल भावना, सहयोग, संघ भावना, सामान्य ज्ञान, हार स्वीकार करने की दया आदि के प्रति खिलाड़ियों का रवैया। खेल आत्म-नियंत्रण, स्थितिजन्य जागरूकता, नेतृत्व और एक साहसिक रवैया भी विकसित करता है, जिससे आपको अपने कौशल को दिखाने का मौका मिलता है। मनोरंजन के साथ-साथ व्यायाम मन और शरीर को प्रसन्न और कुशल बनाता है। यही कारण है कि खेलों ने व्यक्तिगत और सामाजिक महत्व प्राप्त कर लिया है । खेल के महत्व को आधुनिक शिक्षाशास्त्र में भी पहचाना जाता है। खेल को शैक्षणिक प्रणाली के एक महत्वपूर्ण अंग के रूप में देखा जाता है।
संक्षेप में कहें तो हर कदम के बाद साँप और सीढ़ी होती है, मानो प्रकृति का चक्र सबके जीवन में चलता रहता है। साँपसिडी के खेल में सिडियाँ उदारता, विश्वास, नम्रता, विश्वसनीयता, ज्ञान का प्रतिक और साँप अर्थात काम, क्रोध, हत्या, चोरी, झूठ, ईर्ष्या, लोभ, अभिमान, कर्ज के प्रतीक है। यह खेल चुनौतियों और मस्ती से भरा है। यह हमें आशा और निराशा दोनों देता है। हम सभी के जीवन में यही ईश्वरचरणी प्रार्थना है कि आप सफलता के उच्चतम शिखर पर पहुंचते ही कम से कम मुश्कीले आएं और बहुत सारे अच्छे दिन आएं!
आपकी टिप्पणियों और विचारों का स्वागत है!
अजित भा. खाडिलकर
सचिव, टिळक महाराष्ट्र विद्यापीठ, पुणे
ajitbkhadilkar@yahoo.com
१८ दिसंबर २०२१
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जीवन रोज कुछ नई शिक्षा देकर जाता है, और समाज अच्छा शिक्षक है। जब तक जीवन है खुलकर जीना सीखना चाहिए और अपने आपको समाज के प्रति, सामाजिक लोग के प्रति और परिवार खाश तौर पर जो आपके जनक है उनके प्रति कर्तव्य को पूरा करना चाहिए।
आदरणीय खाडीलकर सर आपका लिखना पढकर हमें हर बार कुछ ना कुछ हमें जरूर सिखनो मिलता है, प्रेरणा मिलती है। आपको प्रणाम।
I am thrilled to read this article.