बलिया: आज आवास विकास कॉलोनी, निकट हनुमान मंदिर के प्रांगण में कवि/ साहित्यकार पवन कुमार तिवारी का 60वां जन्म दिवस धूमधाम से मनाया गया, जिसमें एक काव्यगोष्ठी का आयोजन हुआ जिसमें प्रदेश के जाने माने कवि उपस्थित रहे।
काव्यगोष्ठी का शुभारंभ छपरा बिहार से आई डॉ० प्रियंका कुमारी ने ईश वंदना के साथ सरस्वती वंदना से किया। चंदौली से आए बंधुपाल बंधु ने अपनी हास्य कविता- हम का कही ए भइया, घरवा वाली परधान हो गइल। नंदजी नंदा ने छन्दो के माध्यम से बलिया के वीरों का यशगान किया। शिवजी पाण्डेय ‘रसराज’ ने के से कही के हलुक होई जाई, सजन घर आ जइतऽ प्रस्तुत कर के श्रोताओं का दिल जीत लिया।
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कन्हैया पाण्डेय ने हास्य व्यंग की रचना ‘आदमी और गदहा’ प्रस्तुत कर लोगों को खूब गुदगुदाया पवन तिवारी ने जीवन की यात्रा- तुमको तो चाहा है मैंने, हर एक चाहत से बढ़कर, चाहत तो सबमें होती है, मेरी चाहत है हटकर। पढ़कर एक चिंतन प्रस्तुत किया डॉ० जितेंद्र ‘स्वाध्यायी’ ने अधिकार को छोड बैठे रहना, यही पाप है’ कविता पढ़ कर वाहवाही ली। तैमूर से आगे विनोद मिश्र तैमूरी ने भोजपुरी माई, की आरती प्रस्तुत की ‘ओम जय भोजपुरी माई, मइया जय भोजपुरी माई, सरल स्वभाव बा तहरो, सबके मन भाई।
विजय मिश्र ने समझा चौथा पन आ गईल कविता पढ़कर श्रोताओं से खूब तालियां बटोरी। अशोक तिवारी ने गजल प्रस्तुत कर वाह वाही बटोरा दिल में तोहार चाहत बा, तोहरे तलाश बा, शायद नजर फिर कबो, इहे कयास बा। डॉ0 प्रियंका ने पारंपरिक गीत सोहर – कवना बने उपजेला कुसुम, कवना बने केसर हो, ललना कवना बने खिलेला गुलाब चुनरी रंगाईबे हो। काव्यगोष्ठी की अध्यक्षता डॉ० अशोक द्विवेदी ने की और उन्होंने गजल -केतना बदलल इ गउवा नगर लागे, घर में आइला पर, दूसरा के घर लागे, पढ़कर आज के समाज का चित्र प्रस्तुत किया संचालन नंद जी नंदा ने किया।
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