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कार्तिक पूर्णिमा स्नान : गंगा तमसा के संगम तट पर हजारों लगाएंगे आस्था की डुबकी

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बलिया। कार्तिक पूर्णिमा स्नान की तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया गया है। आज देरशाम गंगा व तमसा के संगम तट पर गंगा महाआरती में हजारों की संख्या में पहुंचे। आज देररात के बाद ही श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाएंगे। इसके लिए जहां जिले के कोने- कोने रोडवेज व निजी साधनों के जरिए स्नानार्थियों को जिला मुख्यालय पहुंचाया जा रहा है। वहीं ग्रामीण आंचलों से आये स्नानार्थियों ने शाम के पहले ही गंगा तट की ओर चल दिये। ऐसी मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के स्नान का जो महत्व भृगुनगरी की नगरी में है, वैसा महत्व देश किसी अन्य संगम तट पर स्नान करने का नहीं है। आस्था से जुड़े लोगों का कहना है कि महर्षि भृगु भी इसी गंगा तट पर कार्तिक मास में कल्पवास करने के बाद संगम तट पर कार्तिक पूर्णिमा को स्नान करके अपने पाप कर्मों से मुक्ति पायी थी। उसी समय से बलियाग में कार्तिक मास में कल्पवास व कार्तिक पूर्णिमा स्नान के लिए देश के विभिन्न हिस्सों से साधु संत आते रहे हैं। देररात के बाद ये स्नान शुरू हो जाता है।

Block Your Lost / Stolen Mobile Phone Visit CEIR
Report Suspected Fraud Communication Visit CHAKSHU
Know Your Mobile Connections Visit TAFCOP
कल्पवास के लिए आये साधु संत


कार्तिक पूर्णिमा स्नान इस वर्ष 19 नवम्बर को है। उस दिन महर्षि भृगु की इस तपोस्थली पर गंगा-तमसा के संगम में लाखों लोग डूबकी लगाते हैं। एक अनुमान के मुताबिक यह आंकड़ा पांच लाख या उससे भी अधिक होता है। स्नान के दिन से ही ऐतिहासिक व पौराणिक महत्व वाला देश प्रसिद्ध ददरी मेला भी शुरू होता है, जो करीब-करीब एक महीने तक चलता है। स्नान से पहले दीपावली के अगले दिन से पशु मेला (नंदी ग्राम) भी लगता है। इसमें चेतक प्रतियोगिता व गदहा दौड़ भी होती है।


पूर्वांचल का आकर्षण होता है ददरी मेला

यह मेला व पूर्वांचल का आकर्षण होता है। मेला का आयोजन नगरपालिका कराती है। इसमें जिला प्रशासन की भी अहम भूमिका होती है। मेला को सकुशल सम्पन्न कराने, कार्यक्रमों का निर्धारण करने आदि की तैयारी बैठक महीनों पहले शुरू हो जाती है। इस बार कोरोना के चलते अन्य त्यौहारों की तरह इस ऐतिहासिक व पौराणिक महत्व वाली परम्परा भी ग्रहण लगता दिख रहा है। अबतक इस दिशा में कोई सुगबुगाहट नहीं है। जिला व नपा प्रशासन के जिम्मेदार लोगों की स्नान या मेला के सम्बंध में एक भी बैठक तक नहीं हुई है। ऐसे में स्नान व मेला को लेकर संशय की स्थिति है। लोगों के मन में सवाल है कि आखिर इस बार कार्तिक पूर्णिमा स्नान व मेला होगा भी या नहीं।


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