बलिया। उप्र उच्च शिक्षा परिषद के सहयोग से जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय बलिया में स्थापित शिक्षक- शिक्षा के उत्कृष्टता केंद्र द्वारा आयोजित पाँच दिवसीय शिक्षक प्रशिक्षण कार्यशाला के समापन बुधवार को किया गया। समापन सत्र में जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय के समाज विज्ञान संकाय के संकायाध्यक्ष डॉ अशोक कुमार सिंह ने कहा कि शिक्षकों को समय के अनुसार परिशोधित होते रहना चाहिए। विद्यार्थियों को पुस्तक से जोड़ने का प्रयास करना चाहिए।
आज के पहले सत्र में तनाव प्रबंधन पर चर्चा करते हुए काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी के शिक्षा संकाय के पूर्व संकायाध्यक्ष एवं प्रखर मनोवैज्ञानिक प्रो पी सी शुक्ला ने कहा कि तनाव एक प्रकार की शारीरिक मनोदशा है, जो किसी आवश्यकता के द्वारा उत्पन्न होती है। तनाव के समय में व्यक्ति परिस्थितियों से लड़ता है या परिस्थितियों से पलायन करता है। तनाव कभी दिखाई देता है तथा कभी दिखाई नहीं देता, यह तनाव अचेतन मन में भी हो सकता है। छात्र निष्पति अच्छी हो, इसके लिए सामान्य स्तर की चिंता आवश्यक है, लेकिन चिंता का स्तर कम या अधिक होना छात्र निष्पति को कम करता है। दूसरे सत्र में शिक्षकों के लिए वैयक्तिक एवं सामाजिक जिम्मेदारी पर अपने विचार रखते हुए विश्वविद्यालय के छात्र संकाय के संकायाध्यक्ष डॉ दयालानंद राय ने कहा कि बालक की प्रथम शिक्षक माँ होती हैं। शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका यह है कि वह अपने छात्र में उस तरह से सोचने की क्षमता विकसित करे, जिस तरह की सोचने की उसकी क्षमता है। कार्यशाला में डॉ ददन सिंह, डॉ संजीत सिंह, डॉ मनीषा सिंह, नीति कुशवाहा, डॉ वंदना यादव, डॉ राम तीरथ, डॉ मुनेन्द्र पाल आदि ने सक्रिय सहभागिता की। सेंटर आफ एक्सीलेंस के समन्वयक डॉ रमाकान्त सिंह ने सभी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।
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