आज हम बात करेंगे एक ऐसे अभिनेता के बारे में जो न सिर्फ बहुआयामी प्रतिभा के धनी थे बल्कि हिंदुस्तान की सिनेमा जगत में एक ऐसे कलाकार के तौर पर जाने जाते थे जिन्होंने हर तरह के रोल, चाहे वह नायक हो, सहायक खलनायक या चरित्र कलाकार की भूमिका सब में जान डाल देते हैं और दर्शकों को अपने अभिनय का दीवाना बना देते थे.
जी हां हम बात कर रहे हैं हिंदी सिनेमा जगत की अत्यंत ही प्रतिभावान लोकप्रिय अभिनेता हरिभाई जरीवाला की, इस महान कलाकार का नाम फिल्म जगत की आकाशगंगा में एक ऐसे ध्रुव तारे की तरह याद किया जाता है जिसके बेमिसाल अभिनय से सुसज्जित फिल्में हिंदी फिल्म जगत के आकाश में चमकते सितारों की तरह से हैं.
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संजीव कुमार- यही वह नाम है जिस नाम से वह पूरी दुनिया में विख्यात हुए. जी हां, संजीव कुमार मूल रूप से वह गुजराती थे, 9 जुलाई 1938 को उनका जन्म एक मध्यमवर्गीय गुजराती परिवार में हुआ था. वह बचपन से ही फिल्मों में बतौर अभिनेता काम करने का सपना देखा करते थे और अपने इसी सपने को पूरा करने के लिए वह रंगमंच से जुड़े और बाद में फिल्मालय के एक्टिंग स्कूल में दाखिला लिया. वर्ष 1960 में फिल्मालय की फिल्म हम हिंदुस्तानी में पहली बार उन्होंने अभिनय किया, उसके बाद फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा.
1965 में प्रदर्शित फिल्म निशान बतौर नायक उनकी पहली फिल्म और इसके बाद अभिनेता जो सफर आरंभ हुआ वह संघर्ष, खिलौना, बादल, राजा और रंक, आशीर्वाद, सत्य काम, अनोखी रात आदि फिल्मों के साथ आगे बढ़ता चला.
1970 में आई फिल्म खिलौना उनके करियर में जबरदस्त उछाल लेकर आने वाली फिल्म साबित हुई. खिलौना की जबरदस्त कामयाबी संजीव कुमार को बतौर अभिनेता हिंदी फिल्म जगत में ना सिर्फ पूरी तरह स्थापित किया बल्कि एक शानदार अभिनेता के रूप में अलग पहचान भी दी.
1970 में आई फिल्म दस्तक के लिए पहली बार पुणे सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला, और उसके बाद यह सिलसिला चल पड़ा, पुरस्कार और संजीव कुमार दोनों एक दूसरे के पर्यायवाची बन गए 1972 में प्रदर्शित फिल्म कोशिश मे वह गूंगे की भूमिका में नजर आए, इस फिल्म में जया भादुरी उनके साथ थी, महज 2 सालों के अंदर ही इस फिल्म के लिए उन्हें दूसरी बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला.
1968 में प्रदर्शित फिल्म संघर्ष जिसमेंहिंदी फिल्म जगत की सबसे दमदार अभिनेता दिलीप कुमार थे लेकिन संजीव कुमार ने अपनी छोटी सी भूमिका से दर्शकों की वाहवाही लूटी, इसी साल प्रदर्शित फिल्म शिकार में वह पुलिस ऑफिसर की भूमिका में दिखाई दिए यह फिल्म भी पूरी तरीके से धर्मेंद्र की थी परंतु संजीव कुमार अपने शानदार अभिनय की छाप छोड़ने में कामयाब रहे और इसी फिल्म के लिए उन्हें सहायक अभिनेता का फिल्म फेयर अवार्ड भी मिला.
अपने अभिनय के सफर के दौरान उन्होंने हिंदी फिल्म जगत के तमाम सितारों जैसे राजेश खन्ना अमिताभ बच्चन धर्मेंद्र दिलीप कुमार सभी के साथ काम किया और अपने अभिनय की एक अलग ही शैली स्थापित किया, शोले का ठाकुर हो या जानी दुश्मन का भूत, नया दिन नई रात में निभाया गया नौ किरदार, अंगूर का डबल रोल, पति पत्नी और वह मनचला पति, खिलौना का भावुक प्रेमी, या फिर सीता और गीता में निभाया गया उनका किरदार, इन सभी ने संजीव कुमार ने अपने अभिनय से जान फूंक दिया. गुलजार के साथ संजीव कुमार की जोड़ी ने तो कमाल ही कर दिया, गुलजार के साथ संजीव कुमार ने 9 फिल्में की, आंधी, मौसम,, अंगूर, नमकीन आदि कुछ नामचीन फिल्में हैं जिसमें संजीव कुमार ने अभिनय का एक नया आयाम स्थापित किया.
संजीव कुमार जहां गंभीर फिल्मों में अभिनय का लोहा मनवाया तो वही सीता और गीता तथा मनचली जैसी फिल्मों में स्टार मटेरियल बनकर भी दिखाया कॉमिक रोल में अंगूर में अभिनेता जो आयाम उन्होंने स्थापित किया उसे पाना अच्छे-अच्छे और बड़े-बड़े सुपरस्टार के लिए भी अत्यंत कठिन होगा.
1993 में आई फिल्म प्रोफेसर की पड़ोसन उनकी आखिरी फिल्म साबित हुई.
संजीव कुमार ने विवाह नहीं किया था परंतु उनके साथ काम करने वाली विभिन्न अभिनेत्रियों के साथ उनके प्रेम प्रसंग काफी प्रचलित हुए थे. हेमा मालिनी को दोनों ने शादी का प्रस्ताव भी दिया था जिसे हेमा ने मना कर दिया था अभिनेत्री सुलक्षणा पंडित के साथ उनका प्रेम प्रसंग भी काफी मशहूर हुआ था कहा तो यहां तक जाता है सुलक्षणा ने संजीव को शादी का प्रस्ताव दिया था परंतु संजीव कुमार ने मना कर दिया था और इसके बाद ना तो सुलक्षणा पंडित ने विवाह किया और ना ही संजीव कुमार ने शादी की.
अपनी फिल्मों के माध्यम से हम सभी का दिल जीतने वाले और अभिनय की दुनिया में अपना एक मुकाम स्थापित करने वाले संजीव कुमार 6 नवंबर 1985 को मात्र 47 वर्ष की अल्प आयु में इस दुनिया को छोड़ कर चले गए, मगर अभिनय का जो आयाम उन्होंने हिंदी फिल्म जगत में स्थापित किया है उसे पाना तमाम अभिनेताओं विशेषकर आज के बॉलीवुड में जहां अभिनय से ज्यादा बॉडीबिल्डिंग और शारीरिक बनावट को प्राथमिकता दी जाती है, एक चुनौती ही रहेगी. आज संजीव कुमार बेशक हम सबके बीच में नहीं है मगर उनके द्वारा आधुनिक फिल्में हम सबका दिल बहलाती रहेंगी और हमें उनकी याद दिलाती रहेंगी. यह कहने में हमें जरा भी संकोच नहीं है कि संजीव कुमार हिंदी फिल्म जगत के सर्वश्रेष्ठ अभिनेताओं में से एक थे और आज के अभिनेताओं के लिए अभिनेता एक स्कूल साबित हो सकते हैं.हिंदी फिल्म जगत में बेशक उन्हें सुपर स्टार का दर्जा नहीं दिया मगर अपने प्रशंसकों और दर्शकों के दिलों में उनका दर्जा तमाम सुपरस्टार से कहीं ऊपर है.
Amit “Raj’ Anand
23 जनवरी 2022
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