विशेष न्यायाधीश पाक्सो कोर्ट ने नए कानून के तहत पहले मुकदमा का किया संज्ञान के उपरांत 86दिनों में फैसला
विधि प्रयोगशाला गोरखपुर से 11जनवरी 2025 को विलंब से आया रिपोर्ट
विधि संवाददाता
बलिया में 13 वर्षीय नाबालिग किशोरी को घर में अकेला पाकर दरिंदगी को सारी हदे पार करने के मामले में विशेष न्यायाधीश पाक्सो कोर्ट संख्या (08) प्रथमकांत की न्यायालय में अभियुक्त आलोक पुत्र रामलाल मुहम्मदपुर मठिया थाना उभांव को दोषी करार दिया है पर सजा के प्रश्न पर सुनवाई करते हुए पच्चीस साल के सश्रम कारावास की सजा से दंडित की है। साथ ही 20हजार रूपये जुर्माने से भी दंडित की है वहीं यह भी आदेश दी है कि जुर्माने की धनराशि जमा नहीं करने पर अभियुक्त को अतिरिक्त एक साल की सजा भुगतनी होगी.अदालती सूत्रों के मुताबिक इस जनपद का पहला मामला हैं जो नए कानून बी.एन.एस के तहत महज संज्ञान के उपरांत मात्र 86दिनों में विशेष न्यायाधीश पाक्सो कोर्ट ने फैसला सुनाई है।
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अभियोजन के अनुसार यह है घटना वादी मुकदमा ने घटना के बावत अभियुक्त के विरुद्ध 21अगस्त 2024 को समय करीब 11:30 बजे दिन में सूचित किया व मुकदमा पंजीकृत हुआ। जांच के उपरांत 3अक्टूबर 2024 को विवेचक द्वारा न्यायालय में चार्जशीट प्रेषित कर दी । जहां न्यायालय में 17अक्टूबर 2024 को संज्ञान ले लिया। और 02दिसंबर 2024 को आरोप विचारित करते हुए गवाही प्रारंभ हुई। और अभियोजन पक्ष से राकेश कुमार पांडेय तथा बचाव पक्ष से गौरव सिंह राठौर ने अपनी अपनी दलीलें प्रस्तुत की। जिसे सुनने के उपरांत न्यायालय ने फैसला सुनाई है।
अभियोजन के मुताबिक वादी मुकदमा ने अभियुक्त पर यह आरोप लगाया था कि उसकी नाबालिक किशोरी को घर में अकेला पाकर आरोपी ने जबरियन दुष्कर्म किया और उसे मारपीट करते हुए जान से मारने की धमकी भी दी।
त्रिभुवन नाथ यादव एडवोकेट
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