दोस्तों आज हम जानेंगे कंपाउंडिंग के जादू के बारे में, आपने कभी सोचा है गधे और घोड़े में क्या फर्क है, जी हां गधा एक बहुत ही ईमानदार पर मेहनतकश जानवर है, वह अपने हर कार्य को अपने मालिक के निर्देशानुसार पूरी मेहनत से करता है, घोड़ा भी यही कार्य करता है परंतु घोड़े और गधे में से आपको पसंद करना होगा तो आप किसे करेंगे? जाहिर सी बात है आप घोड़े को पसंद करेंगे, वजह, सबसे बड़ा अंतर दोनों के काम करने के तरीके में है। गधा ‘ वर्क’ करता है, जबकि घोड़ा ‘ स्मार्टली वर्क’ करता है. अब सवाल उठता है की वर्क और स्मार्ट वर्क में क्या फर्क है? किसी भी कार्य को पूरा करने के लिए आपके डेडीकेशन और हार्ड वर्क की जरूरत होती है स्मार्ट वर्क में भी हार्ड वर्क होता है परंतु स्मार्ट वर्क वही है जो कम समय में और कम मेहनत से आपको उतना ही प्राप्त करवाएं जितना कि आप साधारण तरीके से हार्ड वर्क करके ज्यादा समय में प्राप्त करते हैं. काम करने के इन दोनों तरीकों में हार्ड वर्क शामिल है, इन दोनों में जो मुख्य अंतर है वह है काम करने का तरीका, और एक जैसे परिणाम को कम समय में और कम मेहनत करके हासिल करना है.
अब सवाल उठता है कि स्मार्ट वर्क कौन कर सकता है और कैसे कर सकता है-
Report Suspected Fraud Communication Visit CHAKSHU
Know Your Mobile Connections Visit TAFCOP
स्मार्ट वर्क के लिए आपको अपना एजुकेशन और अपने स्किल को बढ़ाना पड़ेगा, अर्थात यह भी कह सकते हैं कि स्मार्ट वर्क में आप अपने ब्रेन पावर का इस्तेमाल करते हैं और इसके साथ साथ होनी चाहिए, पैसे की समझ.
अब पैसे की समझ क्या है-
आपने बहुत सारे लोगों को देखा होगा जो अमीर हैं मगर उन्हें पैसे की समझ नहीं है, उन्हें पता नहीं है कि उन्हें अपने पैसे का निवेश कहां और कैसे करें जिससे कि वह अपनी हैसियत को और ज्यादा बढ़ा सकें, वही आपने ऐसे लोगों को भी देखा होगा जो बहुत ज्यादा अमीर नहीं थे परंतु उन्होंने अपने पैसे को अपने दिमाग के इस्तेमाल से और कंपाउंडिंग के जादू को समझते हुए निवेश किया तथा शीघ्र ही उन्होंने अपनी स्थिति को बहुत ही सुदृढ़ कर लिया और उनकी गिनती भी अमीरों में होने लगी.
आइए आप जानते हैं कि यह कंपाउंडिंग क्या है?
जब आप निवेश करते हैं तो आपको उस पर रिटर्न मिलता है. यदि आप निवेश को लंबे समय तक जारी रखते हैं तो वहां पावर आफ कंपाउंडिंग की मदद से निवेश का मूल्य बहुत तेजी से बढ़ता है. अल्बर्ट आइंस्टाइन का नाम तो आपने सुना ही होगा वह कहते थे की पावर आफ कंपाउंडिंग दुनिया का आठवां अजूबा है. उनके अनुसार ‘ जो इसे समझेगा वह कमएगा, जो नहीं समझेगा वह गांव आएगा. कंपाउंडिंग एक ऐसी शक्ति है जिसे अगर आप समझ जाएं तो स्मार्ट निवेश के जरिए अपने निवेश किए गए रकम पर बहुत ही अच्छा रिटर्न पा सकते हैं।
आपके निवेश पर दो तरह से रिटर्न मिलता है एक होता है सिंपल इंटरेस्ट और दूसरा कंपाउंड इंटरेस्ट. दोनों में प्रमुख अंतर यह है कि सिंपल इंटरेस्ट में ब्याज फैक्ट होता है और वह हर साल आपके निवेश किए हुए रकम पर ही मिलता है जबकि कंपाउंड इंटरेस्ट में हर साल मिलने वाला ब्याज भी आपकी मूल रकम में जुड़ जाता है और अगले साल आपको जो ब्याज मिलता है वह आपके पिछले साल के मूल रकम और ब्याज रकम दोनों को जोड़ने के बाद जो रकम बनती है उस पर मिलता है।
आइए एक उदाहरण से समझते हैं, मान लीजिए आप ₹1,00,000 निवेश करते हैं और आपको 10 परसेंट ब्याज मिलता है, तो सिंपल इंटरेस्ट में आपको हर साल ₹10,000 का रिटर्न मिलेगा और यदि आप 10 साल लगातार निवेश करते रहते हैं तो आप की रकम 10 साल के बाद दोगुनी हो जाएगी। वही अगर आप कंपाउंड इंटरेस्ट के साथ निवेश करते हैं तो आप की रकम 10 साल में लगभग ढाई गुना से भी ज्यादा हो जाएगी।
आपने कई विशेषज्ञों से सुना होगा कि आपको लंबे समय तक इन्वेस्टेड रहने से बहुत अच्छे रिटर्न प्राप्त होते हैं तथा आपको अपना निवेश कम आयु में यानी कि जितनी जल्दी हो सके आरंभ कर देना चाहिए. क्योंकि जहां लंबे समय में कंपाउंडिंग की मदद से आपका रिटर्न बहुत तेजी से बढ़ता है, वही कम आयु में निवेश आरंभ कर देने से आपको ज्यादा वक्त मिलता है।
इसे एक और उदाहरण से समझते हैं।
दो मित्र हैं, निक्की और मिक्की दोनों ने एक साथ नौकरी आरंभ की, निक्की ने 25 साल की उम्र से ही हर महीने ₹10,000 यानी कि सालाना ₹1,20,000 निवेश करना आरंभ कर दिया. जबकि मिक्की ने अगले 10 साल तक कोई निवेश नहीं किया. 10 साल के पश्चात निक्की ने अपने सालाना ₹1,20,000 के निवेश पर 8% का सालाना ब्याज कमाया और कंपाउंडिंग की वजह से उसकी निवेश की गई रकम 10 साल में ₹18,00,000 से भी ज्यादा हो गई. 10 साल निवेश करने के पश्चात निक्की ने अपनी जमा की हुई रकम को इन्वेस्टेड ही रखा और सालाना निवेश को बंद कर दिया
जबकि, मिक्की ने 10 साल बाद यानी कि 35 साल की उम्र में सालाना ₹1,20,000 निवेश करना आरंभ किया. 25 साल बाद जब दोनों के रिटायर होने लगे तो निक्की के निवेश की कीमत लगभग ₹60,00,000 हो गई थी तो वही मिक्की के निवेश का मूल्य सिर्फ 35,00,000 रुपए के लगभग ही हो पाया था।
उपरोक्त उदाहरण से आप कंपाउंडिंग के जादू के बारे में अच्छी तरह समझ गए होंगे. इसे हम टेबल के माध्यम से भी समझाने की कोशिश करते हैं।
उपरोक्त टेबल के माध्यम से हम देख सकते हैं कि निक्की ने महज ₹12,00,000 का निवेश किया और 25 वर्ष बाद रिटायरमेंट पर उसे ₹60,00,000 का रिटर्न मिलता है वही मिक्की ने 18,00,000 रुपेश निवेश किए जबकि रिटायरमेंट पर उसे सिर्फ 35,00,000 रुपए ही मिले। तो आप साफ़ देख सकते हैं कम उम्र में निवेश आरंभ करने से और लंबे समय तक निवेश करते रहने से निक्की ने कितना ज्यादा फायदा कमाया।
इसी वजह से सभी निवेशकों को यह सलाह दी जाती है कि वह जितनी जल्दी हो सके अपने बचत के निवेश को आरंभ करें और पावर आफ कंपाउंडिंग के जादू का फायदा उठाएं अगर आप इसकी ताकत को सही तरीके से समझ लेंगे तो आपको अमीर बनने से कोई नहीं रोक सकता।
कैसे करेंगे निवेश?
निवेश करने से पहले आप यह देखें कि आप अपनी आमदनी में से कितनी बचत कर सकते हैं और अपने बचत की रकम में से कितना निवेश कर सकते हैं आप जितना अधिक निवेश करेंगे और जितने ज्यादा समय के लिए निवेश करेंगे आपको उतना ही फायदा होगा. अगर आपकी आमदनी 20 से 25 साल की उम्र में आरंभ हो जाती है और 30 साल की उम्र के लगभग आपका विवाह होता है तो आप विवाह के पहले तक काफी पैसे बचाने की स्थिति में रहते हैं. ऐसे में जितना अधिक हो सके उतना पैसे बचाएं और उसे निवेश करें। अगर आप अपने कैरियर के आरंभ में ज्यादा बचत करके उसे अच्छी जगह निवेश करेंगे तो निश्चित रूप से जरूरत के समय आप पैसे की कमी को महसूस नहीं करेंगे, आपके पास अपने जीवन को रफ्तार देने के लिए पर्याप्त मात्रा में धन होगा और आप बेहतर जिंदगी जी पाएंगे तथा अपने परिवार को भी बेहतर जिंदगी और सुख सुविधाएं दे पाएंगे।
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अमित कुमार श्रीवास्तव सीईओ : आपका मनी डॉट कॉम
23 जनवरी 2022
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