इतिहास पर दृष्टिपात करने से यह तथ्य स्पष्ट हो जाता है कि भारत कभी भी एक दृष्टिकोण, एकधर्म, एक भाषा, एक भावभूमि अथवा एक व्यवस्था वाला देश नहीं रहा है। भारत में द्रविण संस्कृति सबसे पुरानी मानी जाती है और आर्य लोगों पर विवाद बना रहा है। कुछ इतिहासकार ऐसा मानते हैं कि आर्य मध्य […]
आगे ही नही पीछे भी
आगे ही नहीं पीछे भी… भय और प्रलोभन में फँसी मीडिया
वर्ष 2021 जिन कारणों से अविस्मरणीय वर्ष माना जायेगा उनमें एक यह भी है कि इस वर्ष में दो व्यक्तियों को संयुक्त रूप से पत्रकारिता में नोबेल पुरस्कार की घोषणा की गयी। इन्होंने अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता को लेकर जो मौलिक कार्य किये उन्हें इस पुरस्कार के द्वारा सम्मानित किये जाने का गौरव प्राप्त हुआ। तत्कालीन […]
आगे ही नहीं पीछे भी… शंकराचार्य का विज्ञान
जैन धर्म के प्रवर्तक ऋषभ देव थे जो गौतमबुद्ध से लगभग डेढ़ हाजर वर्ष पूर्व पैदा हुए होंगे। महावीर स्वामी इस परम्परा के तेइसवें तीर्थकर रहे। यह धर्म भारत के परम्परागत धर्म से बहुत अलग नहीं था। परम्परागत विचारधारा के अनुसार अपने इन्द्रियों द्वारा प्राप्त ज्ञान प्रत्यक्ष कहा जाता था जैसे कान से शब्द का, […]
आगे हीं नहीं पीछे भी… शंकराचार्य का झूठ
वेदों और उपनिषदों में प्रकृति अर्थात् भौतिक जगत, आत्मा अर्थात् विभिन्न नाम रूपों में जीवन को धारण करने वाला और सम्पूर्ण में चेतन स्वरूप में विद्यमान ब्रह्म तत्व को अनादि और अनन्त माना गया है। इनमें प्रकृति, जड़ और शेष दोनों चेतन कहे गये। प्रकृति अपने नियमों के अनुसार नाना प्रकार के आकार-प्रकार में जन्म […]
आगे ही नहीं पीछे भी… शंकराचार्य का सच
लगभग तीन हजार वर्ष पहले महावीर जैन का और ढाई हजार पहले गौतम बुद्ध के विचार प्रचलित हुए। दोनों ने सनातन, वैदिक और पौराणिक विश्वास परम्पराओ के समानान्तर अपने सिद्धान्त प्रतिपादित किये, जिन्हे जैन धर्म और बौद्ध धर्म कहा जाने लगा। इन दोनों में ईश्वर स्वर्ग-नरक और दैवीय कृपा से मानवीय समस्याओ का हल ढूढ़ने की […]