Suggestion आगे ही नही पीछे भी

आगे ही नहीं पीछे भी…यीशु को क्यों न जाना जाय ?

यीशु का जन्म 25 दिसम्बर को यदि नहीं भी है तब भी यीशु जन्म मानवता के कल्याण के लिए हुआ था।जिनके विचारों में विश्व कल्याण छिपा हुआ है। भारतीय पुराणों की कथाओं और वर्तालापों की शैली में यीशु मसीह के प्रादुर्भाव से पूर्व को कथाएं और बाद की कथाएं अलग-अलग संतो द्वारा रचित सन्निहित है। […]

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आगे ही नहीं पीछे भी.. आखिर रूढ़िवाद क्या?

कोई भी ज्ञान या सिद्धांत मूल रूप में प्रगट या निरूपित होता है। यह आधार ज्ञान या सिद्धांत होता है। इसे मूल ज्ञान या सिद्धांत कहा जाता है। हम ज्ञान और सिद्धांत के लिए एक ही शब्द ज्ञान का प्रयोग करेंगे क्योंकि जान लेने पर ज्ञान और प्रमाणित हो जाने पर सिद्धांत बन जाता है। […]

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आगे ही नहीं पीछे भी… शिव-पार्वती का विवाह कब?

लोक प्रचलित पौराणिक कथा शिव और पार्वती के विवाह को एक घटना के रूप में लोग मानते हैं। इस कथा अनुसार आदि देव शिव का विवाह प्रजापति दक्ष की कन्या सती से हुआ था। दक्ष को प्रजापति होने का अभिमान हो गया था। दक्ष ने एक यज्ञ किया जिसमें अपने जामाता शिव को आमंत्रित नहीं […]

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आगे ही नहीं पीछे भी… ऐसा – वैसा चाहे जैसा

सनातन से तात्पर्य पुरातन से है। वैदिक ज्ञान उसमें भरा हुआ मुक्त चिन्तन अर्थात् विज्ञान और उसके आधार पर विमर्श युक्त चिन्तन अर्थात् उपनिषद् के समर्थन में विभिन्न विमर्श पद्धत्तियों के साथ छ: शास्त्र भी प्रणीत हुए । वेद का अर्थ ज्ञान और ब्रह्म होता है। उपनिषद का अर्थ समीप आने के लिए से जाना […]

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आगे ही नहीं पीछे भी… सनातन एक नहीं

भारत के आदि धर्म का आधार वेद माना जाता है। वेद के सम्बन्ध में इतिहास वेत्ताओं का मानना है कि ऋग्वेद सबसे पुराना है। मुद्रित पुस्तक के रूप में वेद बहुत बाद में आया, जब लिपि का विकास हुआ और मुद्रण सुविधा उपलब्ध हुई। अभी तक बहुत प्रयास करने पर भी यह ज्ञात नहीं हो […]

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आगे ही नही पीछे भी… विभाजन बेमतलब

अभी-अभी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंचालक डॉ. मोहन भागवत ने अपनी नीति और कार्यक्रमों को उद्‌भाषित करते हुए कहा है कि हिन्दू हैं तभी भारत है, और भारत हिन्दुओं से ही है। जब-जब हिन्दू कमजोर हुआ है तब-तब भारत को नुकसान हुआ है। इसलिए अखण्ड भारत का सपना साकार करने के लिए विभाजन का […]

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आगे ही नहीं पीछे भी… देश भक्ति, राष्ट्रवाद और राज्य निष्ठा का प्रश्न

देश, राष्ट्र और राज्य को साधारणतया एक दूसरे का पर्याय समझकर इन शब्दों का उपयोग करके अपना प्रयोजन सिद्ध कर लिया जाता है। देश को अंग्रेजी भाषा में ‘कन्ट्री’ राष्ट्र को ‘नेशन’ और राज्य को ‘स्टेट’ कहा जाता है। इन शब्दों का महराई से मतलब समझना बहुत जरूरी है क्योंकि इन शब्दों का अपना मतलब […]

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आगे ही नहीं पीछे भी… आगे-आगे देखिए होता है क्या?

कृषि कानूनों को वापस ले लेने की घोषणा पर किसान आन्दोलनकारियों ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए फिलहाल आन्दोलन समाप्त करने का मूड नहीं बनाया। ये कानून संसद से पारित होकर बने थे जिसकी संवैधानिक प्रक्रिया पर प्रश्न चिन्ह लगते रहे। प्रधानमंत्री ने घोषणा पहले की और अपनी घोषणा के अनुरूप संसद में उन तीन […]

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आगे ही नहीं पीछे भी… पौराणिक सन्दर्भों में ददरी मेला

पौराणिक मान्यताओं के आधार पर असुर राज विरोचन का साम्राज्य जो वैरोचन साम्राज्य से प्रसिद्ध था, जिसकी राजधानी बलिपुरी थी। विरोचन पुत्र बलि धर्मात्मा स्वभाव का हुआ जिसकी ख्याति तीनों लोको में फैलती जा रही थी। यह जिज्ञासु राजा था इसे पता था कि यज्ञ के द्वारा कुछ भी प्राप्त किया जा सकता है, इसलिए […]

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आगे ही नहीं पीछे भी… कौन जीता किसान, सरकार या लोकतंत्र?

आज सुबह नौ बजे का समय भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में इसलिए याद किया जाएगा कि दो वर्ष पहले प्रस्तावित अपने ही तीन कृषि कानूनों का अचानक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वापस कर लेने में किसानों उनकी फसलों, बीमा और बाजार को लेकर किये गये प्रयासों का उल्लेख किया और यह कहा कि किसान संगठन […]