भारत का मूल चिंतन साम्यवादी है जिसमें इस बात की गुंजाइस भी है कि यदि साम्य असन्तुलित हो गया तो उसे सन्तुलित कर लेना चाहिए ताकि पुनः साम्य की स्थिति बन जाय। यदि मानवीय प्रयासों से असन्तुलन दूर होने की सम्भावना क्षीण हो जाय तो इस बात की भी सम्भावना बनी रहती है कि कोई […]
आगे ही नही पीछे भी
आगे ही नहीं पीछे भी… आगे-आगे देखिए होता है क्या?
कृषि कानूनों को वापस ले लेने की घोषणा पर किसान आन्दोलनकारियों ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए फिलहाल आन्दोलन समाप्त करने का मूड नहीं बनाया। ये कानून संसद से पारित होकर बने थे जिसकी संवैधानिक प्रक्रिया पर प्रश्न चिन्ह लगते रहे। प्रधानमंत्री ने घोषणा पहले की और अपनी घोषणा के अनुरूप संसद में उन तीन […]