सोची समझी चाल के तहत बलिया की हो रही उपेक्षा
बलिया। लखनऊ से प्रकाशित समकालीन त्रिवेणी नामक पत्रिका के बलिया अंक का लोकार्पण रविवार को तिखमपुर स्थित स्नेह पैलेस के सभागार में आयोजित किया गया। जिसमे समकालीन त्रिवेणी पत्रिका के लोकार्पण के उपरांत काव्य गोष्ठी आयोजित की गयी। जिसमे साहित्यकारों व काव्यकारों ने अपनी-अपनी रचनाओं को पढ़कर सुनाया। इस दौरान काव्यकारों ने आजादी 75 साल बाद भी बलिया नगर व जनपद की दुर्दशा के लिए अब तक चुने गये जनप्रतिनिधियों को जिम्मेदार ठहराया।
कार्यक्रम अध्यक्षता कर रहे महर्षि अशोक ने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि जिस प्रकार गति से सोची समझी चाल के तहत बलिया की उपेक्षा हो रही है। जिसका सबसे अच्छा समाधान यह है कि बलियावासियों को जागृत किया जाय। जिसके लिए बलिया पर केंद्रित पत्रकारिता कारगर सिद्ध हो सके। आयोजित लोकार्पण समारोह का संचालन वरिष्ठ साहित्यकार भोला प्रसाद आग्नेय ने किया। मुख्य अतिथि प्रख्यात लेखक डॉ. रामबदन राय ने कहा कि बलिया की साहित्यिक सांस्कृतिक एवं कलात्मक धाराओं की त्रिवेणी को समझने और उन्हें अधिक धारदार बनाने की आवश्यकता है। विशिष्ट अतिथि डॉ शत्रुघ्न पांडेय ने पत्रिका के संपादक प्रख्यात लेखक एवं कथाकार अखिलेश चमन को इस प्रयास के लिए बधाई दी। इस मौके पर वरिष्ठ साहित्यकार एवं आलोचक रामजी तिवारी, रमेश श्रीवास्तव, आशीष त्रिवेदी ने पत्रिका की समीक्षा की और इससे जुड़ने वालों को धन्यवाद दिया। इस अवसर पर काव्य गोष्ठी में रामभरोसे, शिवजी पांडेय, रसराज, डॉ. कदंबिनी सिंह, शशि प्रेमदेव, उत्कर्ष तिवारी, विजय मिश्र, बेचू राम कैलाशी, रामेश्वर सिंह, बृज मोहन प्रसाद अनारी, धर्मेंद्र पांडेय, अखिलेश चमन, संजय सिंह, प्रेमचंद, श्रीप्रकाश सिंह, डॉ राजेंद्र भारती, डॉ. श्रीपति यादव आदि उपस्थित रहे। इस मौके पर काव्यकारों व साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं काव्य का रस भरने का कार्य किया। अंत में अखिलेश चमन ने सभी के प्रति आभार प्रकट किया।
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