भारत का मूल चिंतन साम्यवादी है जिसमें इस बात की गुंजाइस भी है कि यदि साम्य असन्तुलित हो गया तो उसे सन्तुलित कर लेना चाहिए ताकि पुनः साम्य की स्थिति बन जाय। यदि मानवीय प्रयासों से असन्तुलन दूर होने की सम्भावना क्षीण हो जाय तो इस बात की भी सम्भावना बनी रहती है कि कोई […]