बलिया। भाजपा से सदर विधानसभा से टिकट के दावेदार नागेंद्र पांडेय एक ही रात में बसपा का चोला उतारने के बाद चुनाव लड़ने से साफ मना कर दिया है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से पोस्ट जारी कर कहा है “मैं चुनाव नहीं लड़ूंगा। मैं भारतीय जनता पार्टी का सिपाही हूं और रहूंगा। अपना सहयोग और आशीर्वाद प्रदान करें।” चुनाव लड़ने की घोषणा करने के साथ ही बसपा जॉइन करने के बाद फिर पीछे हटने की वजह क्या है ? कही अपने होने का एहसास तो नहीं दिलाना चाहते थे। या फिर सपा से टिकट की घोषणा होने के बाद अपने समीकरण को देखते हुए ये फैसला लिया हो। खैर इन बातों को तो वहीं जानते है। लेकिन ऐसा कयास लगाया जा रहा है कि बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व से कही न कही किसी बात पर सहमति बनी है।
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बता दें कि भाजपा से टिकट न मिलने के बाद नागेंद्र पांडेय बहुत आहत थे। रविवार को बीजेपी द्वारा जनपद की दो दो सीटों सदर व बैरियां पर क्रमशः दयाशंकर सिंह व आंनद शुक्ला को प्रत्याशी घोषित किया गया था। जिसके बाद बैरिया के सीटिंग एमएलए सुरेन्द्र सिंह बागी होकर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। उसके ठीक बाद नागेंद्र पांडेय ने भी निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी। अगले दिन सोशल मीडिया पर रसड़ा विधायक उमाशंकर सिंह के साथ नागेंद्र पाण्डेय की माला पहने तस्वीर दौड़ने लगी और उसमें कहा गया कि वे बलिया सदर से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे। इसके बाद मंगलवार को अपने समर्थकों की मीटिंग बुलाई थी। मीटिंग के बाद उनके द्वारा सोशल मीडिया और डाली गई पोस्ट कई सवाल खड़े कर रही है कि उन्हें चुनाव नहीं लड़ना था तो घोषणा क्यों की। क्या पार्टी नेतृत्व को कोई संदेश देना चाहते थे। अगर समर्थकों से राय मशवरे लेकर ही निर्णय लेना था तो इतनी जल्दबाजी में पर्चा दाख़िला करने की घोषणा का औचित्य क्या था ? ऐसे तमाम सवाल लोगों के लिए यक्ष प्रश्न बने हुए हैं। ये सवाल चुनाव के बाद क्या रंग दिखाएंगे यह तो समय ही बताएगा।
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