आगे ही नही पीछे भी

आगे ही नहीं पीछे भी… खिचड़ी वाली मकर संक्रान्ति

हम जानते हैं कि हमारी पृथ्वी सूर्य का एक चक्र 365-1/3 दिनों में पूरा करती है। नारँगी के आकार वाली इस पृथ्वी के उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव के मध्य भूमध्य रेखा 0° (शून्म डिग्री) पर मानी जाती है। प्रति वर्ष 14 जुलाई को पृथ्वी चक्कर लगाते हुए ऐसी स्थिति में पहुँच जाती है कि सूर्य की किरणें विषुवत रेखा के दक्षिणी भाग में सीधे पहुँचने लगती हैं जिसके चलते उत्तरी गोलार्द्ध में गर्मी कम जड़ा अधिक, दिन छोटा और रात बड़ी होने लगती हैं। पृथ्वी के चक्कर लगाने के चलते 14 जनवरी को सूर्य की किरणे पृथ्वी पर उत्तरी गोलार्द्ध में सीधे पड़नी शुरू हो जाती हैं, इसका परिणाम यह होता है कि 14 जनवरी से दिन बड़ा और रात छोटी होती शुरू हो जाती है। इस प्राकृतिक घटना को मकर संक्रान्ति के नाम से जाना जाता है।

भारत में मकर संक्रान्ति जाड़े से निजात पाने की प्रक्रिया शुरू होने का अभिनन्दन पर्व के रूप में मनाया जाता है। यूरोप, अमेरिका, रूस, जापान आदि देशी में भी सूर्य प्रकाश को अभिवादन किया जाता है। मकर संक्रांति का दिन एक मौसमी संक्रमण भी उत्पन्न करता है जिसके प्रतीक के रूप में लोकजीवन में मिलेजुले अन्न का संयुक्त व्यंजन खिचड़ी खाने की परम्परा है। मकर संक्रान्ति को भारत के विभिन्न भू-भागो में एक कृषि पर्व के रूप में भी विभिन्न नाम से मनाया जाता है, जैसे पोंगल, लोहड़ी आदि। आयुर्वेद भारत के अनुसार मार्गशीर्ष (माघ) महीने में खिचड़ी और घी का भोजन त्रिदोष नाशक और स्वास्थ्य वर्धक है। तिल और गुड़ खाने से हड्डियाँ मजबूत होती है और शरीर में संचित कफ का निवारण होता है। इस वर्ष मकर संक्रान्ति के दिन विश्व के एक करोड लोगों ने सूर्य नमस्कार द्वारा इस पर्व को विशेष रूप से मनाया है।

Block Your Lost / Stolen Mobile Phone Visit CEIR
Report Suspected Fraud Communication Visit CHAKSHU
Know Your Mobile Connections Visit TAFCOP

यह पर्व पतझड़ का आरम्भ करता है जिस के बाद बसंत आता है। कृषि को इस ऋतु में सूर्य की ऊष्मा की आवश्यकता होती है और जाड़े से ठिठुर रहे जीवों को राहत मिलने का मार्ग प्रशस्त होने लगता है। भारत के विभिन्न तीर्थों पर विशेष स्नान का महत्व रहा है। माघ मेलों के अलावे देश के ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में चूड़ा गुड़ व तिल का दान करने की परम्परा चली आ रही है और लोग इनका भोजन भी करके मकर संक्रान्ति पर्व को प्रसन्नता पूर्वक मनाते हैं। यह पर्व पतंगबाजी के लिए भी जाना जाता है। पतंगबाज विभिन्न आकार प्रकार के पतंग उड़ाते पेंच दर पेंच लगाते और पतंगों को कटी पतंग की तरह नीचे गिरा देने का आनन्द भी लुटते रहते हैं। आपको स्मरण होगा कि इसी पतंगबाजी के खेल ने आधुनिक विधुत आविष्कार कर दिया था जिसका लाभ सम्पूर्ण विश्व को प्राप्त हो रहा है।

भारत में मकर संक्रांति त्यौहार और संस्कृति

भारत वर्ष में मकर संक्रांति हर प्रान्त में बहुत हर्षौल्लास से मनाया जाता है। लेकिन इसे सभी अलग अलग जगह पर अलग नाम और परंपरा से मनाया जाता है।

  • उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश और पश्चिमी बिहार में इसे खिचड़ी का पर्व कहते है। इस दिन पवित्र नदियों में डुबकी लगाना बहुत शुभ माना जाता है। इस अवसर में प्रयाग में एक महीने का माघ मेला शुरू होता है। त्रिवेणी के अलावा हरिद्वार और गढ़ मुक्तेश्वर और बिहार में पटना जैसे कई जगहों पर भी धार्मिक स्नान हैं।
  • पश्चिम बंगाल: बंगाल में हर साल एक बहुत बड़े मेले का आयोजन गंगा सागर में किया जाता है। जहाँ माना जाता है कि राजा भागीरथ के साठ हजार पूर्वजों की रख को त्याग दिया गया था और गंगा नदी में नीचे के क्षेत्र में डुबकी लगाई गई थी। इस मेले में देश भर से बड़ी संख्या में तीर्थयात्री भाग लेते हैं।
  • तमिलनाडु: तमिलनाडु में इसे पोंगल त्यौहार के नाम से मनाते है, जोकि किसानों के फसल काटने वाले दिन की शुरुआत के लिए मनाया जाता है।
  • आंध्रप्रदेश: कर्नाटक और आंधप्रदेश में मकर संक्रमामा नाम से मानते है। जिसे यहाँ 3 दिन का त्यौहार पोंगल के रूप में मनाते हैं। यह आंध्रप्रदेश के लोगों के लिए बहुत बड़ा इवेंट होता है. तेलुगू इसे ‘पेंडा पाँदुगा‘ कहते है जिसका अर्थ होता है, बड़ा उत्सव।
  • गुजरात: उत्तरायण नाम से इसे गुजरात और राजस्थान में मनाया जाता है। इस दिन गुजरात में पतंग उड़ाने की प्रतियोगिता रखी जाती है, जिसमे वहां के सभी लोग बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते है। गुजरात में यह एक बहुत बड़ा त्यौहार है। इस दौरान वहां पर 2 दिन का राष्ट्रीय अवकाश भी होता है।
  • बुंदेलखंड: बुंदेलखंड में विशेष कर मध्यप्रदेश में मकर संक्रांति के त्यौहार को सकरात नाम से जाना जाता है। यह त्यौहार मध्यप्रदेश के साथ ही बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड और सिक्किम में भी मिठाइयों के साथ बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।
  • महाराष्ट्र: संक्रांति के दिनों में महाराष्ट्र में टिल और गुड़ से बने व्यंजन का आदान प्रदान किया जाता है, लोग तिल के लड्डू देते हुए एक – दूसरे से “तिळगुळ घ्या गोड गोड बोला” बोलते है। यह महाराष्ट्र में महिलाओं के लिए विशेष दिन होता है। जब विवाहित महिलाएं “हल्दी कुमकुम” नाम से मेहमानों को आमंत्रित करती है और उन्हें भेंट में कुछ बर्तन देती हैं।
  • केरल: केरल में इस दिन लोग बड़े त्यौहार के रूप में 40 दिनों का अनुष्ठान करते है, जोकि सबरीमाला में समाप्त होता है।
  • उड़ीसा: हमारे देश में कई आदिवासी संक्रांति के दिन अपने नए साल की शुरुआत करते हैं। सभी एक साथ नृत्य और भोजन करते है। उड़ीसा के भूया आदिवासियों में उनके माघ यात्रा शामिल है, जिसमे घरों में बनी वस्तुओं को बिक्री के लिए रखा जाता है।
  • हरियाणा: मगही नाम से हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में यह मनाया जाता है।
  • पंजाब: पंजाब में लोहड़ी नाम से इसे मनाया जाता है, जो सभी पंजाबी के लिए बहुत महत्व रखता है, इस दिन से सभी किसान अपनी फसल काटना शुरू करते है और उसकी पूजा करते है।
  • असम: असम में माघ बिहू नाम से मनाया जाता है।
  • कश्मीर: कश्मीर में शिशुर सेंक्रांत नाम से जानते है।

आपकी टिप्पणियों और विचारों का स्वागत है!

Shivji Pandey

शिवजी पाण्डेय ‘रसराज’

15 जनवरी 2022


Enjoy Live Vivid Bharti
Click here for more live radio
Advertisement
7007809707 for Ad Booking
Advertisement
7007809707 for Ad Booking
Enjoy Live Mirchi Top 20
Click here for more live radio
Advertisement
7007809707 for Ad Booking
Advertisement
7007809707 for Ad Booking
Enjoy Live Bhojpuri Songs
Click here for more live radio
Advertisement
9768741972 for Hosting Service
Advertisement
7007809707 for Ad Booking

कृपया हमारे वेबसाइट को आगे बढ़ाने के लिए डोनेट करें
donate
donate
Please donate to support our work

One Reply to “आगे ही नहीं पीछे भी… खिचड़ी वाली मकर संक्रान्ति

  1. बहुत सुंदर और आवश्यक जानकारियों से भरा हुआ आलेख है। नई पीढ़ी के लिए ऐसे आलेख, जो हमारी परंपरा, संस्कार और संस्कृति से जुड़े हुए हैं, अवश्य प्रेरणाप्रद सिद्ध होंगे। बहुत-बहुत बधाई!

Comments are closed.