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अब चरस तस्करों में नहीं है सुरक्षा एजेंसियों का खौफ

नेपाल बॉर्डर सिद्धार्थनगर से वरिष्ठ पत्रकार यशोदा श्रीवास्तव की रिपोर्ट

नेपाल सीमा पर पकड़ी गई सौ करोड़ की चरस

भारत सीमा से सटे नेपाल के अंदर कई ऐसे गांव व कस्बे हैं जो नशीले पदार्थों खासकर चरस के गोदाम के रूप में इस्तेमाल हो रहे हैं। इस समय नेपाल के रास्ते चरस की तस्करी जिस रफ्तार में बढ़ी है वह सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता का विषय हो सकती है साथ ही यह भी चिंतित करती है कि नेपाल के सीमावर्ती इलाकों में चरस की खेप इकट्ठी कर वे कौन लोग हैं जो भारतीय युवकों को नशा परोस रहे हैं? नेपाल की खुली सीमा नशीले पदार्थों के तस्कर ही नहीं बिना वीजा पासपोर्ट के आर पार होने वाले विदेशियों के लिए दिन ब दिन मुफीद होती जा रही है। हैरान करने वाली बात है कि पिछले दो दिनों में नेपाल के सोनौली बार्डर से करीब सौ करोड़ की चरस पकड़े जाने के एक दिन बाद ही इसी रास्ते बिना वैध कागजात के भारत से नेपाल जा रहे दो इरानी नागरिक भी पुलिस के हत्थे चढ़ जाते हैं।दो दिन में क्रमवार सौ करोड़ की चरस की बरामदगी और दो इरानी नागरिकों की गिरफ्तारी से ऐसा लगता है कि अवांछनीय तत्वों को यहां सुरक्षा और पकड़े जाने का कोई भय नहीं है।

Block Your Lost / Stolen Mobile Phone Visit CEIR
Report Suspected Fraud Communication Visit CHAKSHU
Know Your Mobile Connections Visit TAFCOP

कुछ दिन पहले नेपाल के सोनौली बार्डर पार कर करीब बीस किमी आगे तक निकल आई दो लग्जरी कारों से करीब 88 किलो चरस बरामद हुआ था। रूटीन चेकिंग के दौरान कोल्हुई थाने की पुलिस ने चकमा दे कर भाग रही दो कारों को दौड़ा कर रोका और उनकी तलाशी ली। तलाशी में चरस की उतनी बड़ी खेप बरामद हुई। इसमें चौंकाने वाली बात यह है कि चरस और कार के साथ जो तीन लोग पकड़ गए उसमें दो गोरखपुर के और एक शाहजहांपुर का निकला। दोनों कारें लखनऊ और गाजियाबाद की थीं। इससे यह साबित होता है कि नेपाल के अंदर चरस की तस्करी का धंधा करने वाले यूपी के पश्चिमी जिलों के निवासी हैं जो गोरखपुर, महराजगंज तथा नेपाल सीमा के अन्य क्षेत्रों के गरीब व बेरोजगार युवकों को मामूली लालच में कैरियर के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। कुल्हुई थाने की पुलिस ने जिन तीन लोगों को चरस और लग्जरी कारों के साथ गिरफ्तार किया उन्हें इस धंधे के सरगना की कोई जानकारी नहीं है। इन्होंने बताया कि चरस के इस खेप को उन्हें शामली पंहुचाना था, इसके बदले उन्हें बीस हजार रुपए मिलने थे। इन तीनों को नारकोटिक्स एक्ट में जेल भेज दिया गया है। इस केस में जब कभी फैसला आएगा तो कम से कम दस साल या आजीवन कारावास की सजा तय है.

जमानत की भी गुंजाइश बहुत कम है। इस तरह इन तीन युवकों की जिंदगी तबाह मानी जाय।तस्कर चाहे चरस के हों या किसी अन्य के, होते बहुत चालाक हैं। तस्करी के सामान को कैरियरों के जरिए ही नेपाल सीमा के पार तक पहुंचाया जाता है। इस दौरान तस्कर सरगना सामने नहीं आता। चालाकी इस हद तक बरती जाती है कि गंतव्य तक माल पंहुचाने वाले कैरियर भी एक दूसरे को नहीं जानते। तस्कर ज्यादा तर झाड़ झंखाड़ और पगडंडी मार्गों का इस्तेमाल करते हैं। नेपाल सीमा पर चौकसी सुरक्षा एजेंसियों के बीच नदी नाले व झाड़ झंखाड़ वाले रास्ते बहुत हैं जो सुरक्षा व्यवस्था के लिए बड़ा खतरा है।नेपाल सीमा के सोनौली बार्डर से लगातार दो दिनों तक चरस की बड़ी खेप की बरामदगी से नेपाल सीमा पर सक्रिय सुरक्षा एजेंसियों के कान खड़े हो गए हैं।

अभी वे सोनौली बार्डर से 20 किलोमीटर दूर कोल्हुई थाने की पुलिस द्वारा चरस की बरामदगी की समीक्षा कर ही रहे थे कि एक दिन बाद ही तस्करों ने 85 किलो चरस की तस्करी की दुस्साहस कर बैठे। सीमा की सुरक्षा एजेंसियां चूंकि चौकस थीं इसलिए वे पकड़े गए। कुल्हुई थाने की पुलिस द्वारा 88 किलो चरस की बरामदगी के बाद नेपाल बॉर्डर की सुरक्षा एजेंसियां चौकन्नी हो गई थी। पुलिस ने नेपाल बॉर्डर के करीब दस किलोमीटर तक पगडंडी मार्ग पर मुखबिरों का जाल बिछा दिया था जिसका नतीजा रहा कि सोनौली कोतवाली पुलिस को चरस के दूसरे बड़े खेप की तस्करी की सूचना मिल गई। नेपाल बार्डर के पिपरहिया चौराहे के रास्ते एक लग्जरी कार से चरस की बड़ी खेप गोरखपुर ले जाए जाते वक्त पुलिस ने उक्त कार को दबोच लिया और उसमें से 85 किलो चरस बरामद हुआ। वहीं मौके से कार सवार तीन आरोपियों को गिरफ्तार भी कर लिया गया। गिरफ्तार आरोपियों ने पूछताछ में बताया की लग्जरी कार से चरस की तस्करी कर नेपाल से गोरखपुर ले जाना था। इसके बदले उन्हें कुछ पारिश्रमिक मिलता। चरस की तस्करी की दूसरी खेप के साथ जो युवक पकड़े गए दरअसल वे भी कैरियर ही थे।

तस्करी में इस्तेमाल की गई कार महराजगंज जिले की थी और पकड़े गए चार कैरियर भी महराजगंज जिले के अलग अलग क्षेत्रों के थे। लगातार दो दिन तक बरामद करीब पौने दो कुंटल चरस की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में सौ करोड़ की बताई जा रही है।नेपाल यूं तो नशीले पदार्थो की तस्करी का बड़ा केंद्र पहले से ही है लेकिन पिछले कई वर्षों में चरस की इतनी बड़ी खेप नेपाल के किसी भी नाके से नहीं बरामद हुई है। नेपाल सीमा पर चरस की इतनी बड़ी बरामदगी से सुरक्षा एजेंसियों में खलबली होना स्वाभाविक है।


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